रफाल सौदे पर 500 पेज से ज्यादा की किताब
पांच साल की मेहनत। इस सूचना के साथ कि कहानी अभी पूरी नहीं हुई है। हालांकि, पुस्तक के बारे में एन राम ने लिखा है कि 2019 के चुनाव में नरेन्द्र मोदी की जीत के बाद राजनीतिक तौर पर यह मामला कमजोर हो गया लगता है। लेकिन घोटाले, खासकर रक्षा सौदों से जुड़े घोटाले अनअेपक्षित रूप से दोबारा सामने आने के आदी होते हैं …. घोटाले से संबंधित राजनीतिक और नैतिक सवाल खत्म नहीं होंगे।
इस मामले में अभी तक जो सब, जैसे हुआ है वह नोटबंदी में प्रधानमंत्री की अकेली भूमिका से अलग नहीं है। और ऐसे में इस किताब का आईडिया ही प्रशंसनीय है और इसकी अग्रिम प्रशंसा करने वालों में यशवंत सिन्हा, एन राम, आकार पटेल, सीबीआई के पूर्व संयुक्त निदेशक शांतनु सेन, अजय शुक्ल और जोजी जोसेफ जैसे लोग हैं। कांस्टीट्यूशन क्लब में आज हुए लोकार्पण समारोह में एन राम और श्रीनाथ राघवन चेन्नई से तथा आकार पटेल बेंगलुरू से ऑनलाइन जुड़े।
मंच पर बैठने वालों में प्रशांत भूषण, अजय शुक्ल, श्रीनाथ राघवन, कविता कृष्णन और संजय आर हेगड़े शामिल हुए। पुस्तक पर अच्छी और लंबी चर्चा हुई। पुस्तक के लेखक रवि नायर और परंजय गुहा ठकुराता हैं। प्रकाशक खुद परंजय हैं। लेखकों की ओर से रवि ने पाठकों से कहा कि अगर उनके पास पुस्तक की कहानी से संबंधित कोई सवाल हो तो उसे प्रकाशक को भेज सकते हैं और जवाब देने के लिए इस तरह फिर मिला जा सकता है।
वैसे तो रफाल घोटाला ही अपने आप में अनूठा है और भले कांग्रेस ने अपने लोगों को इसपर वैसे नहीं लगाया है जैसे भाजपा ने बोफर्स पर लगाया था लेकिन एक बात साफ है कि सारा मामला प्रधानमंत्री पर केंद्रित हैं। सीएजी की भूमिका और उनके कथित जांच से संबंधित बिना दस्तखत वाली, मुहरबंद लिफाफे की सूचना की भी चर्चा हुई। ऐसे में पुस्तक का पूरा नाम बताने से आप किताब का मजमून समझ सकते हैं – द रफाल डील, फ्लाइंग लाइज? भारत के सबसे बड़े रक्षा घोटाले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भूमिका।
संजय कुमार सिंह वरिष्ठ पत्रकार