हल्दीराम के यही उत्पाद विदेशों में भी बिकते हैं जिनमें मुस्लिम बहुल देश भी हैं। अगर उस पर हिंदी और अंग्रेज़ी के अलावा उर्दू में लिख दिया गया तो क्या परेशानी है?
हल्दीराम की महिला कर्मचारी ने इसे सही लताड़ा है।
बाबा के देसी घी के डब्बे पर भी उर्दू लिखा है। जाकर पूछो उनसे कि कहीं किसी जानवर की चर्बी तो नहीं? हद हो गई!
Aashish ranjan