हिमांशु की मौत लखनवी पत्रकारों से लूट ले गई मिलनसारी और सुसंस्कारों का ख़ज़ाना
नहीं पता हिंमाशु चौहान के कौन करीबी दोस्त हों पर ये ज़रूर मालूम है कि उसे लखनऊ के करीब सभी वरिष्ठ पत्रकार अपना छोटा भाई मानते थे। आज की मनहूस सुबह सबसे उनका छोटा भाई छीन कर लें गई। और मुझसे भी।
कुछ ही दिन पहले विधानसभा में मुलाकात हुई तो वो बहुत कमज़ोर दिखा, मैंने वजह पूछी। उसने अपनी बीमारी की जो वजह बताई थी उसपर ध्यान दीजिएगा और आगे से इस बात की एहतियात कीजिएगा। मान लीजिएगा कि आपका पत्रकार भाई, साथी या दोस्त जाते-जाते आपको बड़ी बात से आगाह कर गया।

किसी गैर मान्यता प्राप्त पत्रकार को बताया जा रहा था कि संवाददाता समिति के पदाधिकारी से रिकमेंड कराएं तभी पास बन पाएगा। मैंने हिंमाशु को चुटकी ली और कहा तुम ही रिकमेंड कर दो तुम तो शिवशरण जी के अधिकृत नुमाइंदे हो।
हिमांशु मुस्कुराया- नवेद भईया आप मुझसे बहुत खेलते हो।
आखिरी मुलाकात में हिंमाशु का वो मुस्कुराता हुआ चेहरा नज़रों के सामने है।
वो मां का परमभक्त था, नवरात्रि में मां की चरणों में चला गया।
-वरिष्ठ पत्रकार नवेद शिकोह