अर्णव गोस्वामी को “टीआरपी चोर” कहने वाले। उनके केस के खिलाफ हेडलाइन चलाने वाले मित्रों की फेहरिस्त लंबी है। अब अर्णव को कोर्ट से राहत मिल गई है। ये तय हो गया है कि पूरी व्यूह रचना उन्हें फँसाने, रिपब्लिक चैनल को बंद करने में कुछ निहित राजनीतिक स्वार्थी तत्वों ने गैंग बंदी की थी। बहुत ही भयानक है ये कॉर्पोरेट वॉर। दशकों से राज कर रहे मीडिया समूह आखिर एक नये नवेले ब्रांड को इत्ती आसानी से कैसे स्थापित होने दें। पर ये तो हो गया। रिपब्लिक पहले दिन से नंबर वन हुआ। जब तक टीआरपी की रेटिंग आई तब तक नंबर रहा। अर्णव की कार्यशैली से, उसके खबरों के चयन से, पेश करने की तरीके पर बहस हो सकती है। जितने लोग उसे नापसंद करते हैं उससे कहीं ज्यादा पसंद भी करते हैं।
अब जब अर्णव पाक दामन साफ हो गए हैं चैनल मित्रों को ये हेडलाइन भी चलानी चाहिए थी कि अर्णव के खिलाफ आरोप झूठ का पुलिन्दा निकला। नीश मीडिया के टाइट कॉलर वाले ये कह सकते हैं, अर्णव ने सब मैनेज कर लिया। तो भाई ये बताओ, अर्णव के खिलाफ मामला बनाने वाले पुलिस कमिश्नर आज कहाँ हैं? ये पॉकेटमार सचिन वझे जो अपना परिचय अर्णव को ऐसे दे रहा था जैसे देश का कानून वो जेब लेकर घूमता है, वो आज कहाँ है? इनको संचालित कर वसूली करने का आरोप झेलने वाला गृहमंत्री आज कहाँ है? क्या सब अर्णव ने मैनेज कर लिया? अर्णव उसके परिवार सहित कंपनी के स्टाफ को जिस तरह से जलील किया गया उस जलालत से जिस तरह टीम रिपब्लिक निकली वो वाकई कबीले गौर है।
सभी को बधाई….
दुःख की बात है कि मीडिया परिवार बुरी तरह बिखरा हुआ है, वरना मजाल है कि कोई भी सिस्टम इस तरह की फलतूगिरी करने की हिमाकत कर सके। एक दूसरे पर हँसोगे तो एक दिन तुम्हारे रोने की बारी आनी तय है। दूसरे हँसेंगे ये भी तय है। अच्छा हो सब मिलकर हँसो। राजनीति के ये चिरकुट चिरंजी लाल न किसी के हुए हैं, न होंगे। हम ही एक दूसरे के काम आयेंगे। अभी भी वक़्त है जगो।
शिशिर सोनी पत्रकार
var /*674867468*/