बहुत अखरेगा
ए एच कुरेशी का जाना
खबर सुन कर सन्न रह गया।
ग्वालियर के प्रतिष्ठित दैनिक ‘आचरण’ के स्वामी,संपादक ए एच कुरेशी का आज तड़के निधन हो गया।वे 72 साल के थे और डायबिटीज व अस्थमा से पीड़ित थे पर यह बीमारियाँ उनके जोश,जुनून और जिद के आगे कमजोर थीं।
ग्वालियर के विधि विधान में ए एच कुरेशी संघर्ष और सपने का ऐसा नाम था जो अपने बूते पर शिखर तक पहुँचा।सायकल से पूरे ग्वालियर को नापनेवाले इस जुझारू पत्रकार ने साप्ताहिक ‘आचरण’ को पहले दैनिक बनाया फिर उसे दैनिक ‘भास्कर ‘और ‘स्वदेश’ के पास खड़ा कर दिया।यह मामूली संघर्ष नहीं था।जयेन्द्र गंज के मुलतान भवन के पास जहां इंडियन कॉफी हाउस भी था से निकलनेवाले इस अखबार के लोकार्पण समारोह में मैं मोजूद था।तब के दिग्गज राजनेता,विधायक डॉ धर्मवीर उस समारोह के केंद्र में थे।पहले दिन से ही अखबार ने अपनी उपस्थिति दर्ज की।बाद में वह जिंसी नाले में अपने भव्य भवन में आ गया।
कुरेशी जी को हम यानी बादल सरोज,शैलेन्द्र शैली और प्रमोद प्रधान भाई साहब ही कहते थे।कारण-उनका छोटा भाई नसीर उर्फ दीपू हमारे साथ एसएफआई में सक्रिय था।उनके बड़े भाई साहब हमारे भी बड़े भाई थे।यह रिश्ता उन्होंने आजन्म निभाया भी।मुझसे पत्रकारिता के कारण ज्यादा सम्पर्क रहता और जब भी मिलते बेहद अपनत्व के साथ कहते,”जब भी ग्वालियर वापसी का मन बने ‘आचरण’ के दरवाजे आपके लिए हमेशा खुले हैं”।यह उनका बड़प्पन था।
शायद यही वह कारण है कि ए एच कुरेशी देश की पत्रकारिता में ऐसे स्वामी,संपादक का नाम है जो बेहतरीन और प्रतिबद्ध पत्रकार को घर से अपने स्कूटर पर बैठा कर,अग्रिम वेतन दे कर ले आते थे।दिग्गज पत्रकार डॉ राम विद्रोही,काशीनाथ चतुर्वेदी,राकेश अचल,रवीन्द्र झारखरिया,शकील अख्तर,रवींद्र श्रीवास्तव,देव श्रीमाली,बच्चन बिहारी जैसे पत्रकार ‘आचरण’ से ही निकले।सभी ने अपने अपने हिस्से का आकाश छुआ।
आज उस योद्धा स्वामी,संपादक का जाना बहुत अखर रहा है।
बहुत मेहनत,प्रतिबद्धता और समर्पण से बनते हैं ए एच कुरेशी।
आपको नहीं भूल पायेंगे हम लोग।
अलविदा भाई साहब।
ए एच कुरेशी का जाना
खबर सुन कर सन्न रह गया।
ग्वालियर के प्रतिष्ठित दैनिक ‘आचरण’ के स्वामी,संपादक ए एच कुरेशी का आज तड़के निधन हो गया।वे 72 साल के थे और डायबिटीज व अस्थमा से पीड़ित थे पर यह बीमारियाँ उनके जोश,जुनून और जिद के आगे कमजोर थीं।
ग्वालियर के विधि विधान में ए एच कुरेशी संघर्ष और सपने का ऐसा नाम था जो अपने बूते पर शिखर तक पहुँचा।सायकल से पूरे ग्वालियर को नापनेवाले इस जुझारू पत्रकार ने साप्ताहिक ‘आचरण’ को पहले दैनिक बनाया फिर उसे दैनिक ‘भास्कर ‘और ‘स्वदेश’ के पास खड़ा कर दिया।यह मामूली संघर्ष नहीं था।जयेन्द्र गंज के मुलतान भवन के पास जहां इंडियन कॉफी हाउस भी था से निकलनेवाले इस अखबार के लोकार्पण समारोह में मैं मोजूद था।तब के दिग्गज राजनेता,विधायक डॉ धर्मवीर उस समारोह के केंद्र में थे।पहले दिन से ही अखबार ने अपनी उपस्थिति दर्ज की।बाद में वह जिंसी नाले में अपने भव्य भवन में आ गया।
कुरेशी जी को हम यानी बादल सरोज,शैलेन्द्र शैली और प्रमोद प्रधान भाई साहब ही कहते थे।कारण-उनका छोटा भाई नसीर उर्फ दीपू हमारे साथ एसएफआई में सक्रिय था।उनके बड़े भाई साहब हमारे भी बड़े भाई थे।यह रिश्ता उन्होंने आजन्म निभाया भी।मुझसे पत्रकारिता के कारण ज्यादा सम्पर्क रहता और जब भी मिलते बेहद अपनत्व के साथ कहते,”जब भी ग्वालियर वापसी का मन बने ‘आचरण’ के दरवाजे आपके लिए हमेशा खुले हैं”।यह उनका बड़प्पन था।
शायद यही वह कारण है कि ए एच कुरेशी देश की पत्रकारिता में ऐसे स्वामी,संपादक का नाम है जो बेहतरीन और प्रतिबद्ध पत्रकार को घर से अपने स्कूटर पर बैठा कर,अग्रिम वेतन दे कर ले आते थे।दिग्गज पत्रकार डॉ राम विद्रोही,काशीनाथ चतुर्वेदी,राकेश अचल,रवीन्द्र झारखरिया,शकील अख्तर,रवींद्र श्रीवास्तव,देव श्रीमाली,बच्चन बिहारी जैसे पत्रकार ‘आचरण’ से ही निकले।सभी ने अपने अपने हिस्से का आकाश छुआ।
आज उस योद्धा स्वामी,संपादक का जाना बहुत अखर रहा है।
बहुत मेहनत,प्रतिबद्धता और समर्पण से बनते हैं ए एच कुरेशी।
आपको नहीं भूल पायेंगे हम लोग।
अलविदा भाई साहब।
वरिष्ठ पत्रकार हरीश पाठक
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