रिपब्लिक टीवी की नचनिया रिपोर्टिंग/एंकरिंग पर एतराज़ क्यों !

 रिपब्लिक टीवी की नचनिया रिपोर्टिंग/एंकरिंग पर एतराज़ क्यों !

रिपब्लिक टीवी की नचनिया रिपोर्टिंग/एंकरिंग पर एतराज़ क्यों !

आप लकीर के फ़कीर बने रहिए।नए-नए प्रयोग करने के लिए हिम्मत चाहिए, हौसला चाहिए और क्रिएशन चाहिए है। आप न्यूज़ 18, रिपब्लिक भारत और सुदर्शन न्यूज जैसे प्रतिष्ठित चैनलों की प्रेजेंटेशन और कंटेंट/विषयों पर हंसते हो, मजाक उड़ाते हो, इसे गैर जिम्मेदाराना और पत्रकारिता के मूल्यों, सिद्धांतों, आदर्शों और परंपराओं के खिलाफ बताते हो और इन्हें ही सबसे ज्यादा देखते भी हो। तभी तो ये टीआरपी में ऊपर हैं, विज्ञापन और तमाम व्यवसायिक मापदंडों में ये चैनल सफल हैं। देश के बहुत विख्यात और प्रतिष्ठित टीवी जर्नलिस्ट रजत शर्मा जी ने करीब बीस बरस पहले इंडिया टीवी शुरू किया तो इनकी ख़बरों में इंसान कम भूत ज्यादा होते थे। ये हारर फिक्शन चैनल नही था, न्यूज़ चैनल था।फिर भी दर्शकों ने इंडिया टीवी को इंडिया का प्रतिष्ठित चैनल बना दिया। सुदर्शन चैनल कितनी निष्पक्ष खबरें पेश करता है और समाज को जोड़ने का कितना दायित्व निभाता है ये सब जानते हैं। फिर भी इसे श्रेष्ठ चैनलों से कम विज्ञापन नहीं मिलता।
पिछले चौबीस घंटों से रिपब्लिक भारत की एक एंकर की रिपोर्टिंग का वीडियो देखकर देश-दुनिया में उसका मजाक उड़ाया जा रहा है।
मुझे लगता है कि बेवकूफ हैं मज़ाक उड़ाने वाले। मेरा मानना है कि डांस करते हुए ख़बर पेश करना अच्छा प्रयोग है।

आपको याद होगा जब- मुझे ड्रग दो..मुझे ड्रग दो..मुझे ड्रग दो…. वीडियो क्लिप वायरल हुई और सब लोग रिपब्लिक भारत के अर्नब गोस्वामी की ऐसी एंकरिंग का मज़ाक उड़ा रहे थे, उस समय ही आजतक की नंबर वन पोजीशन का रिकार्ड तोड़कर रिपब्लिक भारत नंबर वन की टीआरपी पर आ गया था। हांलांकि वो अलग बात है कि उस वक्त आजतक ने आर भारत पर टीआरपी धांधली के आरोप लगाए थे।
खबर के साथ डांस-ड्रामा और मुजरा ( मुजरा का अर्थ है-अदब से स्वागत,सलाम या आदाब करना) करने में क्या हर्ज है। खबर में कला की चाशनी का प्रयोग बुरी बात नहीं।
डांस और म्युजिक तो पवित्र है और जीवन के हर पहलू में इस्तेमाल होती है। धार्मिक अनुष्ठानों और इबादत में भी कला यानी संगीत है। अज़ान में भी धुन और सुर है। हमारे देश में डांस (नृत्य) के जरिए ईश्वर की आराधना की जाती है। तो फिर डांस करते हुए खबर पेश करे़ तो इसमें क्या ग़लत है।

देखे नचनिया एंकर की वीडियो
और हां पत्रकारिता के चच्चाओं पत्रकारिता के मूल्यों, आदर्शों, सिद्धांतों, निष्पक्षता, संतुलन, इमानदारी और पत्रकारिता के पारंपरिक फार्मेट और कायदे कानूनों की बाद मत करना। पेशेवर पत्रकार पेशे का फायदा देखते हैं सिद्धांतों और आदर्शों की भुखमरी के लिए कोई मीडिया जगत में पैसा नहीं लगाता।
जो दिखता है वहीं बिकता है।
आज रिपब्लिक भारत की ये मोहतरमा डांस के साथ खबर पेश करने के नए प्रयोग के साथ हर तरफ दिख रही हैं।

– नवेद शिकोह वरिष्ठ पत्रकार

var /*674867468*/

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *