
“सोनम बेवफा है” – जब एक वायरल मीम से जुड़ गया एक कथित हत्या का मामला
2016 में अचानक सोशल मीडिया पर एक अजीब ट्रेंड शुरू हुआ था। एक 10 रुपये के नोट पर किसी ने लिखा – “सोनम गुप्ता बेवफा है”, और फिर क्या था, यह लाइन देशभर में मीम्स और चुटकुलों की बाढ़ बन गई। ये संदेश न सिर्फ अन्य नोटों पर दिखने लगे, बल्कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर हजारों पोस्ट और वीडियो बनने लगे। “सोनम” एक प्रतीक बन गई – मज़ाक, धोखे और सोशल मीडिया की ताकत का।
लेकिन अब यह मीम फिर से चर्चा में है – और इस बार बेहद गंभीर कारण से।
हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर कुछ पोस्ट वायरल हुए, जिनमें दावा किया गया कि इंदौर की एक महिला सोनम रघुवंशी ने अपने पति की हत्या करवाई है। मामला सामने आया शिलांग (मेघालय) से, जहां उसके पति की संदिग्ध हालातों में मौत हुई। आरोप है कि यह हत्या एक साजिश थी, जिसमें सोनम की संलिप्तता हो सकती है।
इन पोस्ट्स में यह भी दावा किया जा रहा है कि यही वही “सोनम” है जिसका नाम उस वायरल मीम में आया था – यानी “सोनम गुप्ता बेवफा है” का असली किरदार। हालांकि, इन दावों का कोई ठोस सबूत अब तक सामने नहीं आया है, और न ही पुलिस या किसी अन्य आधिकारिक स्रोत ने इन दोनों बातों को आपस में जोड़ने की पुष्टि की है।
सोशल मीडिया और अफवाहों का खतरनाक मेल
यह घटना एक बार फिर यह सवाल उठाती है कि कैसे एक हास्यपूर्ण मीम भी समय के साथ गलत सूचनाओं और अफवाहों का जरिया बन सकता है। “सोनम गुप्ता बेवफा है” भले ही एक मजाक था, लेकिन जब इसे एक वास्तविक आपराधिक घटना से जोड़ा गया, तो यह कई लोगों के लिए भ्रम और भ्रामक सूचनाओं का स्रोत बन गया।
सच्चाई क्या है?
वास्तव में, “सोनम गुप्ता बेवफा है” केवल एक कलात्मक सामाजिक ट्रेंड था — एक कोरी कल्पना, जिसे लोगों ने नोटों, पोस्टरों, और सोशल मीडिया पोस्ट्स पर दोहराया। वहीं, सोनम रघुवंशी का मामला एक अलग और गंभीर आपराधिक जांच का विषय है, और उसे उसी रूप में देखा जाना चाहिए।
“सोनम बेवफा है” मीम ने एक समय लोगों को हँसाया था, लेकिन अब उसी मीम का नाम एक हत्या जैसे अपराध से जोड़ना, सोशल मीडिया की शक्ति और उसके खतरों की एक चेतावनी भी है। जब ह्यूमर और हकीकत के बीच की रेखा धुंधली हो जाती है, तब मजाक भी गंभीर परिणाम ला सकता है।
संजय कश्यप (संपादक, भड़ास2मीडिया)