इंफोसिस के संस्थापक नारायणमूर्ति के खिलाफ आरएसएस के मुखपत्र पांचजन्य में छपे लेख पर बवाल मचा तो आरएसएस के प्रचार मंत्री ने सुनील आंबेकर ने पांचजन्य को अपना मुखपत्र मानने से ही इनकार कर दिया है।
पाकिस्तान भी तो यही करता है। मुंबई में हुए आतंकवादी हमले के बाद उसने अजमल कसाब को पाकिस्तानी मानने से इंकार कर दिया था। इसी तरह पठानकोट एयरबेस पर हमला करने वाले आतंकवादियों को भी उसने पाकिस्तानी नहीं माना था।
बहरहाल सवाल है कि अब अटल बिहारी वाजपेयी की उन तमाम पुस्तकों का क्या होगा, जिसमें उनके परिचय में छपा है कि वे अपनी युवावस्था में संघ के मुखपत्र पांचजन्य के संपादक भी रहे थे? यही समस्या दीनदयाल उपाध्याय के साथ भी आएगी, क्योंकि उनकी आधिकारिक जीवनी में भी उन्हें संघ के मुखपत्र पांचजन्य का संस्थापक बताया गया है।
अनिल जैन
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