पत्रकारिता के सम्मानित क्षेत्र पर बदनुमा दाग बन रहे फ़र्ज़ी पत्रकार

 पत्रकारिता के सम्मानित क्षेत्र पर बदनुमा दाग बन रहे फ़र्ज़ी पत्रकार

उत्तराखंड/हरिद्वार,न्यूज पोर्टल बनाकर यूं तो पत्रकारिता आसान हो चुकी है लेकिन अब उन पत्रकारों के सामने एक गंभीर परेशानी खड़ी ही चुकी है।जो पत्रकारिता कर समाज को सही राह दिखा सच्ची खबरों से रूबरू कर रहे है।उत्तराखंड राज्य का हरिद्वार जिला जहां ऐसे असामाजिक तत्व अब पोर्टलों की आड़ ले चुके है।जो अवैध कार्यो में लिप्त जेल भी जा चुके है।या जिन पर किसी न किसी मामले में कानूनी कार्यवाही व केस चल रहे है।
बता दें कि हरिद्वार प्रसाशन के निकट औद्योगिक क्षेत्र सिडकुल के आस पास ऐसे पोर्टलियों की संख्या लगातार बढ़ती नजर आ रही है। जिन पर कई बार ब्लैकमेलिंग के आरोप लग चुके है। क्षेत्र में कहाँ कहाँ अवैध कारोबार चल रहे है इसकी जानकारी पुलिस को हो न हो।इन पोर्टलियों को जरूर रहती है। भले ही लिखने की कला से ये पोर्टली वंचित हो।लेकिन अवैध वसूली की कला में ये अच्छी तरह माहिर नजर आते है।
इतना ही नही ये लोग काफी सतर्कता के साथ अवैध पत्रकारिता को अंजाम देते है जहां कही वरिष्ठ पत्रकार या कोई पुलिस अधिकारी इन्हें नजर आ जाते है वहाँ से ये कन्नी काट लेते है।

योग्यता न शिक्षा बावजूद उसके,बन रहे पत्रकार

दुर्भाग्यवश पत्रकारिता का स्तर इतना गिर चुका है कि इस क्षेत्र में अब न तो किसी योग्यता की आवश्यकता रही है और न ही शिक्षा की।इससे भी बड़े दुर्भाय की बात तो ये है।कि इस क्षेत्र में चरित्र प्रमाण की आवश्यकता भी नही रही।इन पोर्टली बाजो में बहुत से पत्रकार (पत्रजार) ऐसे भी है जिनको ये भी ज्ञात नही की एक पत्रकार बनने के लिए क्या क्या योग्यताएं होनी आवश्यक है। सबसे मजे की बात तो ये है की इन लोगो के पेट मे तब तेजी से बुदबुदाहट आरम्भ हो जाती है जब इस तरह की खबरें छपनी शुरू हो जाती है।

पत्रकारिता के सम्मानित क्षेत्र पर बदनुमा दाग बन रहे फ़र्ज़ी पत्रकार,

क्षेत्र में ऐसे पत्रकारों की भी कमी नही जो वैध व समानित पत्रकारिता कर पत्रकारिता के स्तर व सम्मान को जीवित रख रहे है। लेकिन आज अवैध,ब्लेकमेलर पोर्टली बाज इन पत्रकारों के सम्मान के लिए भी खतरा बन चुके है। ऐसे पत्रकार (पत्रजार) जो पत्रकारिता को धूमिल कर रहे है।उनका इतिहास अगर जानना हो तो क्षेत्रीय पुलिस थानों में सरलता से मिल जाएगा।और जिनका नही है।उनका बहुत जल्द दर्ज हो सकता है। मजेदार बात ये भी है कि पत्रकारिता में कदम रखने के बाद अब की भी रिपोर्टर नही बल्कि सीधे ब्यूरो या चीफ एफिटर बनते है।ओर हैरान करने वाली बात ये है कि भले ही इन्हें पत्रकारिता की ABCD का भी ज्ञान न हो। लेकिन फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया पर लड़कियों के लिए जगह खाली है जैसे ये बड़े बड़े ज्ञापन विज्ञापन भी डाल रहे है।जगह लड़कियों के लिए ही क्यों ? पढ़े लिखे लड़को के लिए क्यों नही ?

सरकार और प्रशासन क्यो है मौन ?

तो जानते है।कि आखिर इस क्षेत्र की गरिमा बचाने के लिए उत्तराखंड सरकार व प्रसाशन मौन क्यो है तो उसका सबसे बड़ा कारण है स्वयम वे वरिष्ठ पत्रकार जो स्वयम पत्रकारिता के स्तर को बचाने के लिए आगे नही आना चाहते। दुर्भाग्य ये भी है कि आज की पत्रकारिता इतनी लाचार हो चुकी है।कि ऐसे बहुत से दैनिक व साप्ताहिक अखबार भी है जो थोड़े से लालच में पड़कर ऐसे लोगो को न्यूज के आईडी कार्ड बेच रहे है। जिन्हें पत्रकारिता की सीढ़ी के पहले डंडे का भी ज्ञान नही । जी हां 2500 से 5000 देकर आप पत्रकार बन सकते है।फिर न तो आपका चरित्र कोई मायने रखता है और न ही कोई योग्यता।इतना ही नही सबसे शर्मनाक बात तो तब हो जाती है।जब ये फ़र्ज़ी पत्रकार किसी मामले में पुलिस के चुंगल में फंस जाते है। तब इन्हें कार्ड बेचने वाले इनके आकाओं की जिम्मेदारी बन जाती है इन्हें छुटाने की।जिस कारण पुलिस भी अब इनसे बचती नजर आ रही है।

जल्द लेना होगा जिले की पुलिस को इनके खिलाफ बड़ा फैंसला,

हरिद्वार पुलिस को अब जल्द ही ऐसे फ़र्ज़ी पत्रकारों के खिलाफ कोई बड़ा कदम उठाना होगा जो क्षेत्र में पत्रकारिता के नाम पर कही ब्लैकमेलिंग कर रहे है।तो कही कमजोर व गरीब लोगों को परेशान कर रहे है। ऐसे लोगो को भी चिन्हित करना होगा।जो अपने वाहनों पर प्रेस लिखकर घूम रहे है। पुलिस को ऐसे अवैध फ़र्ज़ी लोगो के बारे में शहर के वरिष्ठ पत्रकारों से वार्ता कर अतिशीध्र ऐसे लोगो के खिलाफ अभियान छेड़ना होगा।जो पत्रकारिता की आड़ लेकर अवैध कार्यों को अंजाम दे रहे है।……….

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