
लखनऊ, 24 जून — 25 जून को प्रस्तावित प्रदेशव्यापी पत्रकार धरने से ठीक एक दिन पहले, पत्रकारों के प्रतिनिधिमंडल ने उत्तर प्रदेश सरकार के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना से विधानसभा स्थित उनके कार्यालय में महत्वपूर्ण मुलाकात की। इस दौरान पत्रकारों ने पेंशन, इलाज, आवास और आकस्मिक सहायता जैसी वर्षों से लंबित मांगों को प्रमुखता से उठाया और एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा।
मुलाकात के दौरान वित्त मंत्री ने तत्काल कई निर्देश जारी करते हुए सकारात्मक रुख दिखाया। उन्होंने पीजीआई में पत्रकारों के इलाज के लिए रिवॉल्विंग फंड के तहत लंबित धनराशि जारी करने का निर्देश दिया और इसके लिए निदेशक, सूचना विभाग से बात कर शासनादेश में संशोधन के आदेश भी दिए।
25 जून को हुई निर्णायक बैठक
वित्त मंत्री के निर्देश के बाद 25 जून को दोपहर 11 बजे लोक भवन में सूचना निदेशक और पत्रकार प्रतिनिधिमंडल के बीच एक अहम बैठक हुई, जो करीब सवा घंटे तक चली। इसमें पत्रकारों की विभिन्न मांगों पर विस्तार से चर्चा की गई और कई बिंदुओं पर सहमति बनी।
बैठक के मुख्य निष्कर्ष और घोषणाएं:
1. पेंशन योजना को मिली हरी झंडी
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राज्य मुख्यालय के 62 और जनपद स्तर के 86 पत्रकारों की पेंशन सूची लगभग तैयार।
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योजना को 1 जनवरी से लागू करने की दिशा में पहल।
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तकनीकी अड़चनों के शीघ्र समाधान का आश्वासन।
2. स्वास्थ्य उपचार में राहत
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पीजीआई में पत्रकारों के इलाज हेतु लंबित ₹24 लाख की राशि जारी।
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वरिष्ठ पत्रकार प्रद्युम्न त्रिपाठी के इलाज के लिए ₹2 लाख अतिरिक्त सहायता स्वीकृत।
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शासनादेश में संशोधन कर मान्यता प्राप्त पत्रकारों के पहचान पत्र के आधार पर इलाज की सहमति।
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पीजीआई में नोडल अधिकारी की नियुक्ति का फैसला।
3. आयुष्मान योजना से जुड़ी समस्याओं का समाधान
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पत्रकारों को आ रही दिक्कतों पर नोडल एजेंसी के अधिकारियों से मौके पर ही संवाद कर समस्याओं का समाधान।
4. सांची एजेंसी को वित्तीय सहायता
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पत्रकार कल्याण से जुड़ी सांची एजेंसी को ₹60 लाख की सहायता राशि भेजे जाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया।
5. आवास योजना का नया खाका
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राज्य और जिले स्तर पर पत्रकारों के लिए “पत्रकार पुरम” मॉडल पर नई आवास योजना तैयार करने पर सहमति।
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इसके लिए आवास विकास परिषद और एलडीए से संवाद शुरू।
6. आकस्मिक मृत्यु सहायता पर नीति
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पत्रकारों की आकस्मिक मृत्यु पर उनके परिजनों को सहायता राशि देने के लिए नई नीति का प्रारूप तैयार किया जा रहा है।
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शासनादेश की समीक्षा कर जल्द मंजूरी की प्रक्रिया शुरू।
7. जिला स्तर पर संवाद और सुरक्षा व्यवस्था
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जिले में पत्रकारों की समस्याओं के निराकरण के लिए प्रत्येक माह डीएम, एसपी और सूचना अधिकारी के साथ बैठक अनिवार्य की गई।
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इन बैठकों की रिपोर्ट शासन को भेजना अनिवार्य।
पत्रकार संगठनों ने जताया संतोष, धरना स्थगित या जारी — होगा निर्णय
इन घोषणाओं और सहमतियों के बाद अब सभी की नजर पत्रकार संगठनों पर है, जो तय करेंगे कि 25 जून को प्रस्तावित धरना यथावत रहेगा या स्थगित किया जाएगा। हालांकि, इस अहम बैठक ने पत्रकार कल्याण की दिशा में एक ठोस शुरुआत का संकेत जरूर दिया है।
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