भाजपा नेत्री वन्दना गुप्ता और पत्रकार आशु शर्मा को इस बार उच्चन्यायालय से नही मिल पाई कोई राहत । पिछली बार उच्च न्यायालय ने आत्मसमर्पण करने को दिया था एक माह का समय…..
वन्दना गुप्ता और आशु शर्मा ने आत्मसमर्पण के लिए 13 अगस्त के बाद कुछ और समय मांगने के लिए माननीय उच्च न्यायालय में एक्सटेंशन एप्लिकेशन लगाई थी जो माननीय उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी ,प्रार्थना पत्र खारिज होता देख हमलावरों के अधिवक्ता पंकज शर्मा ने जज साहब से निवेदन करते हुए अपने प्रार्थना पत्र को वापिस लेने की गुहार लगाई जिसे न्यायधीश एन एस धनिक ने स्वीकार कर लिया। वादी हरमीत इंदौरिया के अधिवक्ता विवेक शुक्ला के सहायक अधिवक्ता भुवनेश जोशी ने न्यायालय को बताया के यह हमलावर वन्दना गुप्ता और आशु शर्मा ने आपके द्वारा दिये गए आत्मसमर्पण के समय का दुरुपयोग करते हुए हरमीत इंदौरिया और उनके कुछ सहायको पर कनखल थाने में एक झूठा मुकदमा दर्ज करवा दिया हैं ,यह बात सुनते ही माननीय न्यायाधीश ने वन्दना गुप्ता और आशु शर्मा के अधिवक्ता को फटकार लगाते हुए यह बोला के यह बहुत अनैतिक कार्य हुआ है
आपके द्वारा दिये गए प्रार्थना पत्र को खारिज कर रहा हूँ। इस पर वन्दना और आशु शर्मा के अधिवक्ता ने निवेदन करते हुए खुद ही अपना प्रार्थना पत्र वापिस ले लिया ।बता दे कि भाजपा नेत्री वन्दना गुप्ता और खुद को पत्रकार बताने वाले आशु शर्मा ने माननीय उच्च न्यायालय में खुद को बीमार होने का हवाला देते हुए निजी अस्पताल के सर्दी ज़ुकाम और बुखार की दवा लिखे हुए परामर्श पर्चे को आधार बना कर प्रस्तुत किया था जो कि न्यायालय ने अस्वीकार करते हुए सरकारी अस्पताल का मेडिकल लाने को कहा और 5 दिन बाद कि तारीख भी दी, जिसके बाद वन्दना गुप्ता और आशु शर्मा ने मेला अस्पताल का परामर्श पर्चे को आधार बनाया ,यह परामर्श उन्होंने मेला अस्पताल के चिकित्सक ज्ञान सिंह के द्वारा लिया था और इसमें सर्दी जुकाम की दवा के साथ-साथ एक हफ्ते का आराम भी लिखा हुआ था ,कमाल की बात तो यह है के वन्दना और आशु शर्मा को एक साथ एक जैसी ही बीमारी हुई और चिकित्सक द्वारा दोनो को ही एक जैसा ही इलाज लिखा गया । चिकित्सक ज्ञान सिंह ने बताया के उक्त दोनों ने खुद को पति पत्नी और पत्रकार बताया था । जब उनसे यह पूछा गया के क्या सर्दी जुकाम में अमुमन आप एक हफ्ते का घरेलू आराम लिख देते है तो उन्होंने इस सवाल से अपना पल्ला झाड़ लिया । कमाल की बात तो यह है के उच्चन्यायालय में पहले जो निजी अस्पताल का पर्चा लगाया गया था वह 06 और 07 अगस्त का था उसके बाद मेला अस्पताल से बनवाया गया पर्चा 17 अगस्त के था । कोर्ट ने इन सभी पहलुओं पर गम्भीरता से गौर करते हुए हमलावरो की समय देने वाली अपील को ही खारिज कर दिया।
एक पत्रकार के द्वारा भेजी गई खबर के आधार पर
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