
हैदराबाद। तेलुगु मीडिया की जानी-मानी और अनुभवी पत्रकार स्वेच्छा वोटारकर की मौत ने पूरे मीडिया जगत को स्तब्ध कर दिया है। शुक्रवार देर रात उनका शव हैदराबाद के जवाहर नगर स्थित उनके अपार्टमेंट के पेंटहाउस में संदिग्ध हालत में पाया गया। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है, हालांकि पुलिस ने जांच को आत्महत्या तक सीमित न रखते हुए साजिश और अन्य संभावनाओं को भी ध्यान में रखकर विस्तृत छानबीन शुरू कर दी है।
स्वेच्छा वोटारकर पिछले करीब 18 वर्षों से तेलुगु टीवी पत्रकारिता में सक्रिय थीं। उन्होंने ‘टीवी9’, ‘ABN आंध्रज्योति’ और अन्य प्रमुख चैनलों में बतौर एंकर और रिपोर्टर काम किया और अपनी सटीक रिपोर्टिंग और बेबाक अंदाज़ के लिए जानी जाती थीं। वे वर्तमान में एक अन्य टीवी चैनल में विशेष संवाददाता के रूप में कार्यरत थीं और तेलंगाना यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (TUWJ) की राज्य समिति की सदस्य भी थीं।
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— TNews Telugu (@TNewsTelugu) June 28, 2025
पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, स्वेच्छा अपनी नाबालिग बेटी के साथ जवाहर नगर के एक अपार्टमेंट के टॉप फ्लोर पर रहती थीं। करीब पांच साल पहले उनका तलाक हो चुका था और वे अकेले ही अपनी बेटी की परवरिश कर रही थीं। शुक्रवार की शाम जब उनकी बेटी स्कूल से लौटी तो दरवाजा बंद था और कोई जवाब नहीं मिला। स्थानीय लोगों की मदद से पुलिस को बुलाया गया, जिन्होंने दरवाजा तोड़कर भीतर प्रवेश किया और स्वेच्छा का शव पंखे से लटका हुआ पाया।
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए गांधी अस्पताल भेजा और मौके से कुछ निजी दस्तावेज और एक डायरी भी जब्त की है, जिसकी जांच की जा रही है। हालांकि कोई सुसाइड नोट अभी तक सामने नहीं आया है।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि वे हर पहलू से मामले की जांच कर रहे हैं—चाहे वो पारिवारिक तनाव हो, कार्यस्थल पर दबाव, या किसी तरह की साजिश।
स्वेच्छा की मौत की खबर फैलते ही पूरे मीडिया और पत्रकारिता समुदाय में शोक की लहर दौड़ गई। कई पत्रकार संगठनों और उनके सहकर्मियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से गहरा दुख व्यक्त किया। TUWJ और अन्य संस्थाओं ने सरकार से मामले की निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
वरिष्ठ पत्रकारों ने स्वेच्छा को एक साहसी, संवेदनशील और समर्पित पत्रकार के रूप में याद किया, जिन्होंने महिला मुद्दों, सामाजिक अन्याय और राजनीतिक गड़बड़ियों पर बेझिझक रिपोर्टिंग की।
स्वेच्छा की असमय और रहस्यमयी मौत ने यह भी उजागर किया है कि पत्रकारों पर पड़ने वाला मानसिक, सामाजिक और पारिवारिक दबाव किस हद तक गंभीर हो सकता है, खासकर महिला पत्रकारों के संदर्भ में जो घर और प्रोफेशन दोनों की जिम्मेदारियाँ अकेले निभा रही हैं।
अब सवाल उठते हैं:
क्या यह सिर्फ आत्महत्या है या इसके पीछे कोई और कहानी छुपी है?
क्या स्वेच्छा मानसिक तनाव में थीं, या उन पर किसी तरह का बाहरी दबाव था?
इन तमाम सवालों के जवाब आने वाले दिनों में जांच के बाद सामने आ सकते हैं, लेकिन फिलहाल, तेलुगु मीडिया ने एक निर्भीक और प्रतिबद्ध आवाज़ को खो दिया है।
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