मेवात का नूह्न आजकल चर्चाओं में है ।मैं 2011 में हरिद्वार में सिडकुल प्रभारी था मेरे यहाँ एक ट्रक चालक की हत्या हुई थी जो उसी के क्लिनर ने की थी ।आरोपी नुह्न का रहने वाला था लिहाज़ा मैं 3 सिपाही लेकर नूह्न थाने पहुँचा।जब मैंने आरोपी को पकड़ने के लिये वहाँ के SHO को फ़ोर्स देने के लिए कहा तो उन्होंने हाथ खड़े कर दिए और कहा की उस गाव में घुसने के लिए कम से कम 500 पुलिस वाले चाहिए आप अपने यहाँ से अतिरिक्त फ़ोर्स मंगाइये तब मैं साथ में अपने थाने का फ़ोर्स दूँगा।
अब मैं भी कहाँ पीछे हटने वाला था वहाँ थाने में हमने उस गाव के एक उसी समुदाय के होम गार्ड की मदद से आरोपी के घर की लोकेशन और पहचान ले ली ।उस होम गार्ड ने वास्तव में गाव और धर्म से ऊपर उठाकर अपने राष्ट्र धर्म कोनिभाया ।मात्र 3सिपाही साथ लेकर गाव में घुस गये ।गाव की आबादी क़रीब 10हज़ार रही होगी।अंदर घुस कर वास्तव में अनजान जगह होने के कारण नयी दुनिया लग रही थी ।हम होमगार्ड के बताये अनुसार उस घर में घुस गये ।मजे की बात है की बेख़बर आरोपी अपने घर के आँगन में ही बैठा था उसकी नज़र हम पर पड़ते ही उसने भागने की कोशिश की पर हमने दबोच लिया गाड़ी के ड्राइवर को हमने पहले ही गाड़ी बैक करने के लिए कह दिया था आरोपी को बिना किसी देरी के गाड़ी में ठूँसा तब तक आस पास के लोगो और उसके घर वालों ने हमे घेरने का प्रयास किया पर सफल नहीं हो पाये उसे लेकर जब हम नूह्न थाने पहुँचे और वहाँ के SHO को हमने सीना ठोककर बताया कि हम आरोपी को ख़ुद ही उठा ले आये है।SHO साहब की आँखें फटी की फटी रह गई उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था।
पुलिस चाहे मेवात में हो या उत्तराखंड में या कही भी ,जनसंख्या की तुलना में वह अपने क्षेत्र के आबादी का .01%होती होगी परंतु हमारी ट्रेनिंग और आत्मविश्वास हमे ये हिम्मत देती है की अपराधी को उसके बिल से खींच कर ले आयें ।इस घटना से मुझे लगा कि पुलिस को अवधारणा बनाने के बजाय ख़ुद के आत्मविश्वास की ज़रूरत होती है ।