
एक युग का अवसान — श्री विकास धूलिया जी को श्रद्धांजलि
दैनिक जागरण के स्टेट ब्यूरो चीफ, श्री विकास धूलिया जी के निधन का समाचार जैसे पूरे पत्रकारिता जगत पर एक वज्राघात बनकर टूटा। यह केवल एक वरिष्ठ पत्रकार की विदाई नहीं है, बल्कि सामाजिक चेतना, सत्य के प्रति निष्ठा और निर्भीक पत्रकारिता की एक दीप्तिमान मशाल के बुझ जाने जैसा है।
श्री धूलिया जी ने पत्रकारिता को केवल एक पेशा नहीं, बल्कि जनसेवा का माध्यम माना। वे उन चुनिंदा पत्रकारों में से थे जिन्होंने कभी भी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। उनकी कलम न तो सत्ता के आगे झुकी, न ही किसी भय या लालच के आगे रुकी। समाज के अंतिम व्यक्ति की आवाज़ को उन्होंने जिस साहस और संवेदनशीलता से पन्नों पर उतारा, वह पत्रकारिता के उच्चतम आदर्शों का जीवंत उदाहरण था।
उनका लेखन एक दस्तावेज होता था — न सिर्फ घटनाओं का, बल्कि विचारों का, चेतना का, और कभी-कभी क्रांति का भी। उन्होंने न केवल खबरों को समर्पण से लिखा, बल्कि समाज के संवेदनशील मुद्दों पर जनमत को जागरूक किया। उनकी भाषा में गहराई थी, और विचारों में स्पष्टता। वे कलम के सच्चे सिपाही थे।
उनका जाना एक युग का अंत है। यह खाली स्थान केवल दैनिक जागरण ही नहीं, बल्कि समस्त पत्रकारिता जगत के लिए अपूरणीय है। ऐसे युगद्रष्टा पत्रकार विरले ही जन्म लेते हैं, और उनसे भी विरले ऐसे होते हैं जो अपने जीवन को समाज की सेवा के लिए समर्पित कर देते हैं।
हम भगवान बदरी-केदारनाथ से प्रार्थना करते हैं कि दिवंगत आत्मा को अपने परम धाम में स्थान दें और शोक संतप्त परिवार को यह असीम दुख सहने की शक्ति एवं धैर्य प्रदान करें।
।। ॐ शांति ।।