
लखनऊ। समय के साथ पत्रकारिता का चेहरा लगातार बदल रहा है। एक दौर था जब खबरें केवल कागज पर लिखे शब्दों और रेडियो की आवाज तक सिमटी रहती थीं। फिर टेलीविजन आया और विजुअल्स ने पत्रकारिता को नए आयाम दिए। लेकिन अब तस्वीर और भी बदल चुकी है। इंटरनेट, मोबाइल और सोशल मीडिया के विस्तार ने पत्रकारिता को अभूतपूर्व गति और दायरा प्रदान किया है। आज हर खबर सिर्फ छपी हुई पंक्तियों तक सीमित नहीं है, बल्कि वीडियो क्लिप, लाइव कवरेज, इन्फोग्राफिक्स और तकनीक-आधारित प्रजेंटेशन ने इसे नई परिभाषा दे दी है।
इसी बदलते परिदृश्य पर चर्चा करने के लिए अमर उजाला ने लखनऊ में “संवाद” कार्यक्रम का आयोजन किया। इस मौके पर मीडिया इंडस्ट्री से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार, प्रोफेसर, डिजिटल कंटेंट क्रिएटर्स और पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राएं एक साथ जुटे। कार्यक्रम का उद्देश्य था—मीडिया के बदलते स्वरूप, उसकी चुनौतियों और अवसरों पर खुले मन से बातचीत करना।
कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने माना कि पत्रकारिता का सबसे बड़ा हथियार हमेशा से “सत्य” और “विश्वसनीयता” रहा है। लेकिन बदलते दौर में तकनीक ने पत्रकारों के सामने नई जिम्मेदारियां भी खड़ी की हैं। आज पाठक और दर्शक सिर्फ खबर नहीं चाहता, बल्कि उसे विजुअल प्रूफ, ताज़ा अपडेट और गहराई से की गई पड़ताल भी चाहिए। यही कारण है कि अब खबरें केवल अखबार तक सीमित नहीं रहतीं, बल्कि मोबाइल स्क्रीन और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी सबसे पहले पहुँचती हैं।
वरिष्ठ पत्रकारों ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि पत्रकारिता अब “वन-वे कम्युनिकेशन” नहीं रही। सोशल मीडिया के जरिए पाठक तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं और खबरों की सटीकता को चुनौती भी देते हैं। इस वजह से पत्रकारों को पहले से ज्यादा सतर्क और जिम्मेदार होना पड़ता है।
छात्रों ने भी संवाद में हिस्सा लेते हुए कई सवाल पूछे। खासकर यह जानना चाहा कि डिजिटल मीडिया के इस दौर में पारंपरिक अखबारों और टीवी चैनलों का भविष्य कैसा रहेगा? विशेषज्ञों ने जवाब दिया कि चाहे प्लेटफॉर्म कोई भी हो, पत्रकारिता की आत्मा वही रहेगी—सही जानकारी, निष्पक्ष दृष्टिकोण और समाज को जागरूक करने का संकल्प।
कार्यक्रम में इस बात पर भी चर्चा हुई कि फेक न्यूज़ और भ्रामक सूचनाएं आज पत्रकारिता की सबसे बड़ी चुनौती हैं। वक्ताओं ने कहा कि तकनीक ने भले ही पत्रकारिता को गति दी हो, लेकिन इसी तकनीक ने अफवाहों को भी पंख दिए हैं। ऐसे में ज़रूरी है कि पत्रकार सटीक तथ्यों और क्रॉस-वेरीफिकेशन पर जोर दें।
अमर उजाला के इस संवाद कार्यक्रम ने न केवल छात्रों को नई दृष्टि दी, बल्कि मीडिया प्रोफेशनल्स को भी यह याद दिलाया कि पत्रकारिता का असली उद्देश्य सिर्फ खबर दिखाना नहीं, बल्कि समाज को सच्चाई से रूबरू कराना है।
कार्यक्रम के अंत में सभी ने एक स्वर में कहा कि चाहे पत्रकारिता का रूप बदले, माध्यम बदले या तकनीक बदले—इस पेशे की सबसे बड़ी ताकत हमेशा “विश्वास” रहेगी। और यही विश्वास मीडिया को हर दौर में प्रासंगिक बनाए रखेगा।
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