
एक दौर था जब पत्रकारिता का काम सत्ता से सवाल पूछना था। लेकिन आज टीवी चैनलों का काम एक-दूसरे को पछाड़ना, चिल्लाना, और “सबसे तेज़” कहलाने की जंग में हर हद पार कर जाना बन गया है।
और इस युद्ध के दो योद्धा हैं —
एक तरफ आजतक, जिसकी पहचान कभी गंभीर पत्रकारिता से थी,
दूसरी ओर रिपब्लिक भारत, जिसकी पहचान अब गला फाड़ कर राष्ट्रवाद परोसने से है।
इन दोनों के बीच जो विवाद है, वो सिर्फ चैनल का नहीं, बल्कि पूरे मीडिया की दिशा का आईना बन गया है।
1. शुरुआत: दो ब्रांड, दो स्टाइल
आजतक – भारत का पुराना, प्रतिष्ठित हिंदी न्यूज चैनल। लंबे समय तक पत्रकारिता का चेहरा रहा, विशेष रूप से सिद्धार्थ वरदराजन, पुण्य प्रसून वाजपेयी जैसे नामों के कारण।
रिपब्लिक भारत – अर्णब गोस्वामी की अगुआई में शुरू हुआ चैनल, जिसका मकसद था – “राष्ट्रवाद + ड्रामा = TRP”।
आजतक जब “सवाल पूछता है”, रिपब्लिक भारत तब “देशद्रोहियों को पकड़ता है”।
2. विवाद की जड़: TRP की लड़ाई
दोनों चैनलों के बीच असली युद्ध TRP की गद्दी को लेकर है।
• आजतक का दावा: “हम सबसे तेज़ हैं”
• रिपब्लिक भारत का नारा: “देश देख रहा है”
दोनों का मतलब एक ही है — “हम पहले नंबर पर हैं!”
लेकिन जब BARC (TRP मापक संस्था) की रिपोर्ट आती है, तो कभी आजतक आगे, कभी रिपब्लिक भारत।
इस होड़ में भाषा की गरिमा, तथ्यों की सच्चाई, और बहस की मर्यादा कूड़ेदान में चली जाती है।
3. सीधा हमला: आरोप-प्रत्यारोप
रिपब्लिक भारत पर आजतक का इशारा:
– अर्नब गोस्वामी की डिबेट्स को कई पत्रकार “चिल्ला-जर्नलिज़्म” कहते हैं
– आरोप है कि रिपब्लिक का कंटेंट सेलेक्टिव, नाटकीय, और पक्षपातपूर्ण होता है
– AajTak के कई शो ने इशारों में रिपब्लिक को “मीडिया की नौटंकी” करार दिया
रिपब्लिक का पलटवार:
– रिपब्लिक भारत आजतक को “Lutyens Media” का हिस्सा बताता है
– अर्नब कई बार अपने शो में “Fake Media”, “Paid Media” जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं — इशारा आजतक की ओर होता है
– कभी-कभी सीधे नाम लेकर तंज भी किया गया है:
“कुछ चैनल सिर्फ स्क्रिप्ट पढ़ते हैं, हम सच्चाई दिखाते हैं”
4. पत्रकारिता या प्रोपगेंडा?
आजतक, जो कभी गंभीर राजनीतिक विश्लेषण के लिए जाना जाता था, अब सांप-नेवला, भूत-पिशाच, और बॉलीवुड में ज्यादा दिलचस्पी लेने लगा है।
रिपब्लिक भारत पर हर बहस में:
– राष्ट्रवाद अनिवार्य है
– विपक्ष = देशविरोध
– “आप पाकिस्तान क्यों नहीं चले जाते?” पूछना आम है
इन दोनों चैनलों की दिशा अलग है, पर मकसद एक ही — TRP का ताज।
5. कानून और विवाद:
• TRP Scam (2020) में रिपब्लिक भारत का नाम प्रमुखता से आया।
• आरोप था कि चैनल ने पैसे देकर रेटिंग बढ़वाई।
• आजतक ने अप्रत्यक्ष रूप से इसे उठाया, और “TRP की सच्चाई” जैसे शो भी चलाए।
• रिपब्लिक ने इसे बदले में “कांग्रेस-सुपोर्टेड हमला” बताया।
AajTak और Republic Bharat के बीच का विवाद दरअसल पत्रकारिता का नहीं, पैकेजिंग का है।
कौन ज़्यादा शोर मचाता है, कौन पहले ब्रेकिंग देता है, और किसके डिबेट में ज्यादा हंगामा होता है — यही सफलता की कसौटी बन गई है।
इस झगड़े में न तो जनता की ज़रूरत की खबरें बची हैं, न ही सच्चाई की खोज।
बचा है तो सिर्फ़ नाटकीय राष्ट्रवाद, टीआरपी की हवस और माइक थामे हुए हेडलाइन बनते पत्रकार।