
आंध्र प्रदेश में साक्षी टीवी चैनलों पर हिंसक हमले, प्रेस की स्वतंत्रता पर संकट
नई दिल्ली/विजयवाड़ा, 11 जून 2025:
आंध्र प्रदेश में प्रेस की स्वतंत्रता पर बड़ा हमला हुआ है। सत्ताधारी तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के कार्यकर्ताओं और कथित तौर पर कुछ विधायकों के नेतृत्व में राज्य के कई जिलों में साक्षी टीवी के दफ्तरों पर संगठित हमले किए गए। पत्थरबाजी, ईंटें फेंकने और तोड़फोड़ की घटनाओं ने मीडिया जगत को स्तब्ध कर दिया है।
घटनाक्रम के पीछे क्या है?
यह हिंसा उस विवाद के बाद सामने आई जब साक्षी टीवी के एक लाइव डिबेट शो में एक विश्लेषक ने आपत्तिजनक बयान दिया। शो के ऐंकर और वरिष्ठ पत्रकार कोमिनेनी श्रीनिवास राव ने तुरंत हस्तक्षेप कर बयान को रोका, लेकिन इसके बावजूद पुलिस ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया और चैनल पर हिंसक हमला हुआ।
लोकतंत्र पर प्रहार: YSRCP की तीखी प्रतिक्रिया
विपक्षी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) ने इस कार्रवाई की तीखी निंदा की है। पार्टी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने बयान जारी कर कहा:
“यह केवल साक्षी मीडिया पर हमला नहीं है, बल्कि यह हर उस सवाल उठाने वाली आवाज़ को कुचलने की कोशिश है जो सत्ता से जवाब मांगती है। क्या आज के भारत में ऐंकर को विश्लेषक की बात के लिए जेल भेजा जाएगा?”
प्रेस की स्वतंत्रता खतरे में?
विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक (World Press Freedom Index) में भारत का स्थान पहले ही 159वें नंबर पर है, जो चिंताजनक है। अब इस घटना ने एक बार फिर इस बात को उजागर कर दिया है कि पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्रता गंभीर खतरे में है।
जैकी यादव की टिप्पणी:
स्वतंत्र पत्रकार जैकी यादव ने घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा:
“यह तानाशाही नहीं तो और क्या है? जब पत्रकारों को सच बोलने और सवाल पूछने पर सज़ा मिले, तो लोकतंत्र की आत्मा को चोट पहुंचती है।”
क्या कहता है मीडिया जगत?
पत्रकार संगठनों, नागरिक समूहों और सोशल मीडिया पर व्यापक विरोध शुरू हो चुका है। सभी ने एक स्वर में साक्षी टीवी और कोमिनेनी श्रीनिवास राव के साथ एकजुटता दिखाई है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
यह हमला सिर्फ एक चैनल या एक ऐंकर पर नहीं है। यह पूरे लोकतांत्रिक ढांचे पर सवाल है कि क्या अब सत्ता की आलोचना करना अपराध बन चुका है? अगर पत्रकारों को चुप कराया जाएगा, तो जनता की आवाज़ कौन बनेगा?