
“न्यूज़ एक्सप्रेस: एक मीडिया चैनल की अधूरी दास्तान”
शुरुआत: बड़े वादों के साथ एक नई दस्तक
साल 2011, भारतीय न्यूज़ मीडिया के परिदृश्य में एक नया नाम सामने आया — “न्यूज़ एक्सप्रेस”।
इसे एक नेशनल न्यूज़ चैनल के रूप में लॉन्च किया गया था, जिसका दावा था —
“तेज़, सटीक और निष्पक्ष पत्रकारिता”।
चैनल को एक आधुनिक, तकनीकी रूप से सुसज्जित, युवा ऊर्जा और वरिष्ठ अनुभव के मेल के रूप में पेश किया गया।
हेडक्वार्टर: नोएडा (Uttar Pradesh)
लॉन्च समय: 2011 के मध्य
मालिक कौन था? किसके नाम से रजिस्टर्ड हुआ?
इस चैनल के पीछे थी “साईं ग्रुप ऑफ कंपनीज़”, जिसकी अगुवाई कर रहे थे:
👉 प्रशुन शुक्ला
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चैनल के असली मालिक और प्रबंधक
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खुद को समाजसेवी, व्यवसायी और विज़नरी लीडर कहने वाले प्रशुन शुक्ला ने इस चैनल को अपने राजनीतिक और कॉर्पोरेट प्रभाव को मजबूत करने के लिए खड़ा किया था।
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न्यूज़ एक्सप्रेस और इसके साथ जुड़ा साप्ताहिक अख़बार ‘हमवतन’ तकनीकी रूप से अलग-अलग संस्थाओं के नाम पर रजिस्टर्ड किए गए, लेकिन नियंत्रण पूरी तरह से प्रशुन शुक्ला और उनके निकट सहयोगियों के पास था।
कैसे शुरू किया गया न्यूज़ एक्सप्रेस चैनल?
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नोएडा सेक्टर-63 में एक शानदार ऑफिस स्पेस किराए पर लिया गया।
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स्टूडियो निर्माण, सेटअप, कंट्रोल रूम और डेस्क सिस्टम पर भारी निवेश किया गया।
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पैन इंडिया नेटवर्क का वादा किया गया।
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DTH और MSO प्लेटफॉर्म्स पर चैनल को जगह दिलवाई गई।
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वरिष्ठ पत्रकारों की टीम को लुभाकर जोड़ा गया।
लेकिन जो नहीं था:
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ठोस कंटेंट रणनीति,
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एडिटोरियल विज़न,
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और लॉन्ग टर्म ब्रॉडकास्ट मैनेजमेंट।
संपादकीय और प्रमुख टीम:
🔸 पंकज शुक्ला (एडिटोरियल हेड)
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फिल्म और मनोरंजन पत्रकारिता से आए पंकज शुक्ला चैनल के कंटेंट को लीड करने आए।
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शुरुआत में शो और बुलेटिन्स में नयापन लाने की कोशिश की, लेकिन मैनेजमेंट हस्तक्षेप और रणनीतिक असहमति के कारण वे ज्यादा दूर तक नहीं टिक पाए।
🔸 निशांत चतुर्वेदी (वरिष्ठ एंकर)
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दमदार आवाज़ और तेज़ एंकरिंग के कारण स्क्रीन पर मजबूत उपस्थिति बनाई।
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कुछ चर्चित शो का चेहरा बने, लेकिन चैनल के ढांचे की कमियों के कारण लंबे समय तक जुड़ाव नहीं रह पाया।
🔸 सुधीर सुधाकर (आउटपुट हेड)
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चैनल की आउटपुट और बुलेटिन्स को मैनेज करने की जिम्मेदारी निभाई।
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प्रोफेशनल अप्रोच के बावजूद टेक्निकल संसाधनों और संपादकीय दिशा की कमी के चलते आउटपुट लगातार अस्थिर रहा।
🔸 विनय (HR/Admin)
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चैनल की बैकएंड, ह्यूमन रिसोर्स और टीम मैनेजमेंट से जुड़े रहे।
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लेकिन कर्मचारियों की वेतन संबंधी शिकायतें, पीएफ/ESI ना मिलने जैसी बातें इनकी कार्यशैली पर सवाल खड़े करती रहीं।
‘हमवतन’ अख़बार की भूमिका
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न्यूज़ एक्सप्रेस के साथ-साथ साप्ताहिक अख़बार “हमवतन” भी लॉन्च किया गया था।
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इसे एक जनसरोकार आधारित अख़बार बताया गया, जो जमीनी मुद्दों को उजागर करेगा।
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शुरुआत में दिल्ली, यूपी, एमपी, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में वितरण किया गया।
लेकिन…
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अख़बार का वितरण नेटवर्क ढीला रहा,
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विज्ञापन की कमी और कंटेंट क्वालिटी में गिरावट आई,
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और अंततः कुछ ही वर्षों में इसका प्रकाशन रुक गया।
चैनल का बंद होना: कारण और अंत
2014-15 के बाद से:
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चैनल की टीआरपी लगातार गिरी।
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कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिला।
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वरिष्ठ संपादक और एंकर चैनल छोड़ते गए।
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प्रबंधन में घोर अस्थिरता और वित्तीय संकट गहराता गया।
2015-16 में:
बिना किसी प्रेस विज्ञप्ति या आधिकारिक बयान के, न्यूज़ एक्सप्रेस का प्रसारण पूरी तरह बंद हो गया।
सैकड़ों कर्मचारियों को बिना नोटिस बाहर कर दिया गया।
लंबित भुगतान, लीगल विवाद और श्रम विभाग में कई शिकायतें दर्ज हुईं।
एक महत्वाकांक्षी पर अधूरी कोशिश
न्यूज़ एक्सप्रेस एक ऐसा प्रयोग था जो दिखावटी संसाधनों, भारी वादों और आंतरिक अव्यवस्था का शिकार हो गया।
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सही टीम थी, लेकिन सही मार्गदर्शन नहीं।
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पैसा था, लेकिन विज़न नहीं।
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मंच था, लेकिन रणनीति नहीं।
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