
सर्किट हाउस के एक डाइनिंग हॉल में महज़ 20 मिनट का एक ‘बर्थडे सेलीब्रेशन’ अब मेरठ के पत्रकारिता जगत में हलचल का विषय बन गया है। India Voice के पत्रकार शाहरूख सैफी के जन्मदिन पर केक काटने की यह घटना अब एक एफआईआर में तब्दील हो चुकी है, जिसने ना सिर्फ प्रशासनिक गलियारों में चर्चा पैदा कर दी है, बल्कि पत्रकारिता जगत को भी दो धड़ों में बांट दिया है।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
29 मई को शाहरूख सैफी के जन्मदिन पर कुछ पत्रकार सर्किट हाउस में इकट्ठा हुए। तेज़ हवा के चलते जब बरामदे में सामान उड़ने लगा तो वहां के अंशकालिक केयरटेकर सुरेश से मौखिक अनुमति लेकर सभी पत्रकार डाइनिंग हॉल में चले गए। वहां संक्षिप्त रूप से केक काटा गया और सबको एक कोल्ड ड्रिंक और एक सैंडविच दिया गया।
कार्यक्रम बेहद सीमित था – ना संगीत, ना शोर, ना ही कोई अनुशासनहीनता। कार्यक्रम में कुछ सर्किट हाउस कर्मचारी भी शामिल हुए। फिर भी, सोशल मीडिया पर फोटो और वीडियो सामने आने के बाद इस मामले को शासन स्तर तक पहुंचाया गया।
एफआईआर दर्ज, धमकी का आरोप भी शामिल
मुख्यमंत्री कार्यालय में शिकायत के बाद, जिलाधिकारी के निर्देश पर पीडब्लूडी विभाग के मेट ने शाहरूख सैफी और 5-6 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया। एफआईआर में ‘धमकी देने’ का भी आरोप शामिल है। आश्चर्यजनक रूप से प्रशासन और विभाग ने इस पूरे मामले में “पत्रकारों द्वारा आयोजन” को सीधे तौर पर स्वीकार नहीं किया, जिससे स्थिति और उलझ गई है।
पत्रकारों को क्यों सताया जा रहा है?
मेरठ को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजधानी माना जाता है, लेकिन यहां बुनियादी सुविधाओं का अभाव पत्रकारों की परेशानियों को और बढ़ा देता है। दशकों पहले बना प्रेस क्लब अब उपयोग लायक नहीं रह गया है। मीडिया सेंटर तक नहीं होने के कारण पत्रकार दिनभर सड़कों, चाय की दुकानों या किसी सरकारी परिसर की छांव में अपना काम निपटाते हैं।
ऐसे में जब कभी एक-दूसरे का जन्मदिन मना लिया जाता है, वह भी अब निशाने पर आ चुका है। मुकदमा दर्ज होने के बाद अब पत्रकारों के लिए सर्किट हाउस जैसी जगहें भी असुरक्षित मानी जा रही हैं।
मामले के पीछे ‘अंदरूनी राजनीति’ की बू
सूत्रों का दावा है कि यह विवाद केवल “केक काटने” तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे शहर की पत्रकारिता में लंबे समय से चल रही अंदरूनी खींचतान भी है। पुराने पत्रकारों द्वारा नए पत्रकारों को स्थापित होने से रोकने की कोशिश और सत्ता में बैठे प्रभावशाली लोगों से मिलकर दबाव बनाने की रणनीति अब खुलकर सामने आ रही है।
विवाद के केंद्र में यह भी है कि पत्रकारों की एक नई एसोसिएशन में हाल ही में कुछ चैनल्स के रिपोर्टरों को जोड़ा गया, जिस पर कथित रूप से पुराने पत्रकारों ने कब्जा कर लिया है।
कौन-कौन थे मौजूद?
इस बर्थडे कार्यक्रम में भारत समाचार, न्यूजनेशन, प्राइम न्यूज, हिंदी खबर, एबीपी न्यूज सहित कई संस्थानों के रिपोर्टर, कैमरामैन और अखबारों के फोटोग्राफर मौजूद थे। एफआईआर की खबर आते ही कुछ संस्थानों ने अपने रिपोर्टरों को होल्ड पर डाल दिया है।
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