
पीलीभीत में पत्रकार दंपती ने प्रशासनिक उत्पीड़न से तंग आकर की आत्महत्या की कोशिश, वायरल वीडियो से मचा हड़कंप
पीलीभीत, उत्तर प्रदेश – उत्तर प्रदेश के पीलीभीत ज़िले के बरखेड़ा कस्बे से गुरुवार को एक बेहद चौंकाने वाली और भावुक कर देने वाली घटना सामने आई, जिसने प्रशासन और जनता दोनों को झकझोर कर रख दिया। स्थानीय पत्रकार इसरार अहमद और उनकी पत्नी ने प्रशासनिक उत्पीड़न से तंग आकर ज़हर पीने की कोशिश की। इससे पहले उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने जहर की शीशी हाथ में लेकर अपने साथ हुए अन्याय की पूरी दास्तान बयां की।
वीडियो के वायरल होते ही प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया। पुलिस की मदद से दोनों को तुरंत मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, जहां फिलहाल उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
क्या है वायरल वीडियो में?
वीडियो में पत्रकार इसरार और उनकी पत्नी रोते हुए दिखाई दे रहे हैं। उनके हाथ में जहर की शीशी है और वे कह रहे हैं:
“हमने नगर पंचायत में फैले भ्रष्टाचार की खबरें प्रकाशित कीं, जिसका मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक ने संज्ञान लिया। लेकिन इसके बाद हमें टारगेट किया जाने लगा।”
इसरार ने आरोप लगाया कि बीसलपुर के एसडीएम नागेंद्र पांडे, बरखेड़ा नगर पंचायत के चेयरमैन श्याम बिहारी भोजवाल, और न्यूरिया के ठेकेदार मोइन खान ने मिलकर उन्हें फर्जी मुकदमे में फंसाया और जान से मारने की धमकियाँ दीं।
पत्नी ने लगाए गंभीर आरोप
वीडियो में इसरार की पत्नी ने आरोप लगाया कि एसडीएम नागेंद्र पांडे ने उनके साथ छेड़छाड़ की, जिसकी उन्होंने थाने और मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
“पुलिस ने उल्टा हमारे घर में घुसकर मारपीट की और पूरा परिवार दहशत में है।”
क्या है चेयरमैन का आपराधिक इतिहास?
इस मामले में जिस चेयरमैन श्याम बिहारी भोजवाल पर गंभीर आरोप लगे हैं, उनका अपराधों से पुराना नाता रहा है। दो साल पहले वह शराब तस्करी के मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं। उस वक्त उनके पास से 350 पेटी अवैध शराब बरामद की गई थी, जो उत्तराखंड से लाई गई थी। उस मामले में उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। इसके बावजूद वह भाजपा से जुड़े रहे और अब नगर पंचायत के चेयरमैन हैं।
प्रशासन पर सवालिया निशान
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सत्ता और प्रभावशाली लोगों के खिलाफ आवाज़ उठाना अब पत्रकारों के लिए खतरे से खाली नहीं है?
अगर आरोपों की जांच नहीं होती और शिकायतें नजरअंदाज़ की जाती हैं, तो आम नागरिक और पत्रकार कहाँ जाएँ?
क्या कहता है पत्रकारिता समुदाय?
स्थानीय और राज्य स्तरीय पत्रकार संगठनों ने इस मामले की निष्पक्ष जांच की माँग की है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि पत्रकारों की आवाज़ दबाने की कोशिश लोकतंत्र पर सीधा हमला है।
इसरार और उनकी पत्नी की यह भयावह कोशिश, केवल एक दंपती की व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, बल्कि यह प्रेस की स्वतंत्रता और प्रशासनिक जवाबदेही पर गहरे सवाल छोड़ जाती है। सरकार और न्यायिक संस्थानों को चाहिए कि इस घटना को गंभीरता से लें, ताकि भविष्य में किसी भी पत्रकार को सच कहने की सजा ज़हर पीकर देने की जरूरत न पड़े।