
टीवी स्क्रीन पर ‘LIVE’ का चमकता हुआ लाल बॉक्स अब किसी समाचार की गंभीरता का सूचक नहीं रहा। वह अब सिर्फ यह बताने के लिए होता है कि देश की राजनीति का एक और तमाशा शुरू हो चुका है।
ऐसा ही एक तमाशा हुआ AajTak चैनल पर, जब एक डिबेट में भाजपा प्रवक्ता प्रेम शुक्ला की ज़ुबान फिसली नहीं, फिर से बेधड़क बहकी।
लेकिन ये कोई पहली बार नहीं था। फर्क बस इतना था कि इस बार शब्द थे, “रंडी” — और वो भी लाइव टीवी पर, पूरे देश के सामने।
डर्टी डिबेट का डर्टी मोमेंट:
डिबेट का मुद्दा कोई भी रहा हो, चर्चा राजनीति की थी लेकिन भाषा गली के मुहाने पर जा पहुंची।
जब विपक्ष के प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने तीखा सवाल उठाया, तो प्रेम शुक्ला के चेहरे का आत्मविश्वास अचानक अहम की आंधी में बदल गया।
और फिर वही हुआ, जिसकी अब शायद आदत सी हो गई है –
उन्होंने चिल्लाकर ऐसा शब्द कह डाला, जिसे सुनकर टीवी एंकर भी कुछ क्षण के लिए स्तब्ध हो गया।
“रंडी…” – ये शब्द कैमरे में कैद हो चुका था, और इंटरनेट की दुनिया में वायरल होने में अब ज़्यादा समय नहीं लगता।
भाजपा की फजीहत:
भाजपा के लिए यह कोई नया अनुभव नहीं था।
• कुछ दिन पहले मैनपुरी में बब्बन,
• फिर मध्यप्रदेश में विजय शाह,
• फिर महाराष्ट्र में धाकड़,
• और अब प्रेम शुक्ला।
हर बार अलग चेहरा, पर एक जैसी ज़ुबान।
भाजपा की प्रवक्ता टीम अब एक “न्यूज़लूटीवी एंटरटेनमेंट यूनिट” सी लगने लगी है – हर चैनल पर कोई ना कोई कुछ उल्टा-पुल्टा बोल ही रहा होता है। और पार्टी बार-बार “ये उनका व्यक्तिगत मत था” कहकर पीछा छुड़ा रही है।
लेकिन इस बार शब्द इतना गंदा और लैंगिक रूप से अपमानजनक था कि मामला सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित नहीं रहा — मीडिया बिरादरी और आम जनता में भी हलचल मच गई।
प्रतिक्रिया और प्रहसन:
• AajTak ने चुपचाप वीडियो को एडिट कर दिया, लेकिन क्लिप तब तक ट्विटर और इंस्टाग्राम की रील्स में घूम रही थी।
• जनता के एक तबके ने पूछा — “क्या यही है राष्ट्रवाद की भाषा?”
• वहीं कुछ पार्टी समर्थकों ने कहा — “राजनीति में ऐसे वाक्य निकल जाते हैं।”
शुक्र है, इस बार भाजपा ने थोड़ी ‘फुर्ती’ दिखाई और यह खबर आई कि प्रेम शुक्ला को चैनलों के पैनल से हटा दिया गया है।
लेकिन जानने वाले जानते हैं –
“पैनल से हटाना” अब नया प्रमोशन बन गया है।
कल तक टीवी पर चीख रहे थे,
अब हो सकता है राज्यसभा की सीढ़ियों पर दिखें।
राजनीति की नई शब्दावली:
पहले नेता अपने काम से पहचाने जाते थे, अब गाली से वायरल होते हैं।
पहले बहस में विचार टकराते थे, अब सिर्फ आवाजें।
और जब भाषा का पतन लाइव टीवी पर हो, तो समझ लीजिए राजनीति ने विचारधारा से नहीं, “विचारहीनता से समझौता” कर लिया है।
निष्कर्ष:
प्रेम शुक्ला का ‘डर्टी डिबेट मोमेंट’ भाजपा की एक और छवि-चूक थी — एक और सार्वजनिक फजीहत, जो पार्टी की नैतिकता पर सवाल छोड़ गई।
लेकिन क्या यह अंत है? नहीं।
क्योंकि इस राजनीति में, जहां हर शर्मिंदगी के बाद पुरस्कार मिलता है, वहां यह केवल शुरुआत है अगली गिरावट की।
देखे वीडियो
[Trigger Warning: Verbal Abuse]
BJP spokesperson Prem Shukla abused Congress spokesperson Surendra Singh Rajput in a live TV debate on AajTak saying “your mother is a pros%$#&” pic.twitter.com/oHZfrXIb7z
— Abhishek (@AbhishekSay) May 31, 2025