
गुरुग्राम POCSO कोर्ट से अजीत अंजुम को बड़ा झटका, याचिका को बताया ‘तथ्यों के विपरीत और आधारहीन’
गुरुग्राम। अपने तीखे तेवर और मुखर छवि के लिए पहचाने जाने वाले पत्रकार अजीत अंजुम को गुरुग्राम स्थित POCSO कोर्ट से तगड़ा कानूनी झटका लगा है। कोर्ट ने उनके द्वारा दाखिल उस याचिका को सिरे से खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने पीड़िता के निजी वकील धर्मेंद्र मिश्रा की भूमिका पर सवाल खड़े किए थे। कोर्ट ने साफ कर दिया कि याचिका “तथ्यों के विरुद्ध और पूर्णत: निराधार” है।
इस मामले में अजीत अंजुम ने यह दावा किया था कि पीड़िता के वकील मुकदमे में जरूरत से ज्यादा सक्रिय हैं और उनकी भूमिका अभियोजन के संचालन तक पहुँच गई है, जो कि केवल विशेष लोक अभियोजक का अधिकार क्षेत्र है। लेकिन कोर्ट ने उनके तर्कों को न सिर्फ खारिज किया, बल्कि यह भी कहा कि इस तरह के आरोप न्यायालय की प्रक्रिया पर संदेह उत्पन्न करने वाले हैं।
कानूनी दांव-पेच उल्टा पड़ा?
अंजुम की ओर से दायर याचिका में BNSS, 2023 की धारा 338(2) और POCSO अधिनियम की धारा 40 के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट के दो चर्चित फैसलों — शिव कुमार बनाम हुकम चंद (1999) और रेखा मुरारका बनाम स्टेट ऑफ वेस्ट बंगाल (2020) — का हवाला दिया गया था। लेकिन कोर्ट ने कहा कि इनका कोई सीधा संबंध इस मामले से नहीं बनता।
कोर्ट ने रिकॉर्ड के आधार पर स्पष्ट कर दिया कि मुकदमे की कार्यवाही विशेष लोक अभियोजक के नियंत्रण में ही चल रही है और पीड़िता का वकील सिर्फ सहायक की भूमिका में है। यानी, अजीत अंजुम की याचिका एक ऐसी आपत्ति थी, जिसकी न ज़रूरत थी और न ज़मीन।
जवाबी चोट: कोर्ट की तल्ख टिप्पणी
कोर्ट ने अपने आदेश में टिप्पणी की कि याचिका में लगाए गए आरोप एक तरह से “न्यायिक प्रक्रिया को संदिग्ध दिखाने का प्रयास हैं।” साथ ही यह भी कहा कि रिकॉर्ड में कहीं ऐसा नहीं है जो दर्शाए कि शिकायतकर्ता का वकील मुकदमे का संचालन कर रहा है।
यह टिप्पणी अजीत अंजुम जैसे वरिष्ठ पत्रकार की कानूनी रणनीति पर बड़ा सवाल खड़ा करती है — क्या यह एक जानबूझकर किया गया ‘डिफेंस डिले’ था? या न्यायिक प्रक्रिया में दखल देने की कोशिश?
मामला क्या है?
यह पूरा मामला 2013 का है, जब इंडिया न्यूज़ और न्यूज़ 24 जैसे चैनलों के आठ पत्रकारों पर आरोप लगे थे कि उन्होंने आसाराम बापू के अनुयायियों से जुड़े कुछ निजी वीडियो तोड़-मरोड़ कर प्रसारित किए। 25 अगस्त 2023 को कोर्ट ने इस मामले में POCSO एक्ट, आईटी एक्ट और आपराधिक साजिश जैसी गंभीर धाराओं के तहत आरोप तय कर दिए हैं।
इन पत्रकारों में एक नाम अजीत अंजुम का भी शामिल है, जिनकी भूमिका को लेकर अब कानूनी जांच तेज होती दिख रही है।
आलोचना की आदत, लेकिन अब खुद कटघरे में?
एक समय में सत्ता, सरकार और गोदी मीडिया पर खुलकर वार करने वाले अजीत अंजुम के लिए यह कानूनी लड़ाई आसान नहीं दिख रही। गुरुग्राम POCSO कोर्ट का यह ताजा आदेश उनकी स्थिति को और जटिल बना सकता है।
अब देखना यह है कि क्या वे इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे या मुकदमे के मुख्य आरोपों पर फोकस करने की कोशिश करेंगे।
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