
हरिद्वार, एक ऐसा शहर जो आध्यात्म, गंगा और साधुओं के लिए जाना जाता है, इन दिनों एक नई वजह से चर्चा में है — पत्रकारिता।
कहानी शुरू होती है हर की पौड़ी पर मूंगफली बेचने वाले {काल्पनिक नाम }गोपाल से, जो वर्षों से यही काम कर रहा था। चटपटे नमक और नींबू के साथ मूंगफली बेचते-बेचते गोपाल को अब भक्तों की आदतें, नेताओं की चालें और बाबाओं की चालबाजियाँ सब कंठस्थ हो गई थीं। एक दिन, गोपाल ने देखा कि कुछ लोग मोबाइल लेकर घूमते हैं, सेल्फी लेते हैं, किसी से कुछ भी पूछते हैं और खुद को पत्रकार बताते हैं।
“भाईसाब, ये क्या कर रहे हो?” {काल्पनिक नाम } गोपाल ने एक युवक से पूछा।
“भाई, हम यूट्यूब पत्रकार हैं। तुम्हारे मूंगफली स्टॉल पर भी शूट कर सकते हैं, बस कहना होगा कि सरकार ने सड़कें खराब कर दी हैं या बाबाओं ने धंधा बना लिया है,” युवक बोला।
{काल्पनिक नाम } गोपाल मुस्कराया। रात को अपने भतीजे से उसने एक स्मार्टफोन उधार लिया और अगली सुबह से वो भी ‘पत्रकार’ बन गया।
पहली रिपोर्ट:
“हरिद्वार के प्रसाद में मिलाया जा रहा है नकली गुड़!”
(कैमरे के सामने एक लड्डू को मसलते हुए {काल्पनिक नाम }गोपाल बोले – “देखिए, ये असली नहीं है, मैं मूंगफली वाला हूं, मुझे पता है खाद्य पदार्थ कैसे होने चाहिए।”)
दूसरी रिपोर्ट:
“गंगा में डुबकी लगाने से अब पाप नहीं कटते, नेटवर्क भी चला जाता है!”
(कमेंट्स में एक साधु ने लिखा: “पाप तो जरूर कटते हैं, पर नेटवर्क वाकई चला जाता है।”)
अब {काल्पनिक नाम }गोपाल के चैनल के 50 हज़ार सब्सक्राइबर हो चुके हैं। वह नेताओं से सवाल भी पूछता है – “आप मुफ्त वाईफाई की बात करते हैं, पर हर की पौड़ी पर तो 2G भी नहीं चलता!”
पत्रकारिता के पुराने धुरंधर चुप हैं। वे समझ नहीं पा रहे कि बिना प्रेस कार्ड, बिना ट्रेनिंग, बिना किसी संपादक के यह मूंगफली वाला कैसे “जनता की आवाज़” बन गया।
अंतिम दृश्य:
एक वरिष्ठ पत्रकार ने टीवी डिबेट में कहा –
“पत्रकारिता मर रही है!”
और उधर {काल्पनिक नाम } गोपाल ने उसी क्लिप को अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया –
शीर्षक: “देखिए कैसे बड़े पत्रकार भी हमसे जलने लगे हैं!”
निष्कर्ष:
हरिद्वार में पत्रकारिता का स्तर गिरा या जनता ने मीडिया का नया रूप गढ़ा? जब हर हाथ में कैमरा और हर दिल में सवाल हो, तो पत्रकार की परिभाषा कौन तय करेगा? शायद अब पत्रकार वही है जो दिखाता नहीं, भुनाता है। और मूंगफली बेचते हुए अगर सवाल करना सीख लिया जाए, तो शायद असली पत्रकार वही है।
संजय कश्यप संपादक bhadas2media.com