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पीयूष बबेले को असाइनमेंट की सोपी गई जिम्मेदारी

 पीयूष बबेले को असाइनमेंट की सोपी गई जिम्मेदारी
पीयूष बबेले ने नया असाइनमेंट/ नई चुनौती चुन ली। पीयूष का पत्रकारिता का एक शानदार सफर रहा। पीटीआई के दिनों से उन्हें जानता हूँ, उसके पहले कोई छोटी मोटी नौकरी की हो तो नहीं पता।
माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता संस्थान से निकलने के बाद उन्होंने पत्रकारिता का जो सफर शुरू किया, हमेशा उनका ग्राफ उभार पर रहा। पीटीआई से इकनॉमिक टाइम्स, इकनॉमिक टाइम्स से इंडिया टुडे, इंडिया टुडे से दैनिक भास्कर, दैनिक भास्कर से जी न्यूज और जी न्यूज से आईबीएन 7 तक का उनका सफर पत्रकारिता का एक चमकता कैरियर रहा और वह लगातार शीर्ष कहे जाने वाले पदों पर बने रहे। मतलब वह अपने मौजूदा कार्यक्षेत्र में पिटकर नए क्षेत्र में नहीं गए हैं।
इस बीच उन्होंने “नेहरू, मिथक और सत्य” नाम से पुस्तक भी लिखी, जो खासी चर्चा में रही, कुछ समय तक एमेजॉन बेस्ट सेलर रही। यह किताब एमेजॉन पर तमाम चर्चित लेखकों की किताबों की तुलना में लगातार ऊपर बनी रहती है (कभी कभी जलन भी होती है कि मेरी “मण्डल कमीशन : राष्ट्र निर्माण की सबसे बड़ी पहल” क्यों पीछे रहती है जबकि संख्या के लिहाज से इसका पाठक वर्ग ज्यादा है ?
)
पीयूष मुझसे कम उम्र के हैं लेकिन उपलब्धियां मुझसे कई गुना ज्यादा हैं। सपा सरकार में उनकी एसडीएम वाली स्टोरी खूब चर्चा में आई। हालांकि मैंने न तो वह स्टोरी पढ़ी, न कभी उस पर उनसे बात हुई (यह इसलिए लिख दे रहा हूँ कि कमेंट में तमाम साथी पूछने वाले हैं कि वही वाले? तो मैं पहले बता रहा हूँ कि हां, वही वाले?) मैं कभी उनका साथ देने या उन्हें लाभ पहुँचाने लायक नहीं रहा, लेकिन उन्होंने संकट के दौर में मेरी तरफ हाथ बढ़ाया। इसलिए उन्हें मैं कहता हूँ कि वह यारों के यार हैं।
इस बीच वह मीडिया संस्थान बदलते रहे। मैंने उन्हें कभी बधाई नहीं दी। मेरे लिए सब धान ढाई पसेरी लगता है, चाहे यहां जाओ या वहां जाओ। बस मजदूरी कम या ज्यादा होती है।
लेकिन जब उनके इस नए असाइनमेंट के बारे में सुना तो उन्हें बधाई देने से रोक नहीं पाया। रात में नौकरी के काम से फुर्सत मिलते ही पहली फुर्सत में फोन मिला दिया और गदगद हृदय से बधाई दे डाली। उन्होंने भी उसी उत्साह के साथ भर अँकवार बधाई स्वीकार की।
मैं सोच रहा था कि फेसबुक पर लिखूं या न लिखूँ। उन्होंने खुद भी इसकी कोई सार्वजनिक घोषणा फेसबुक पर नही की। लेकिन आज एक मित्र से उनके बारे में बात करने के बाद खुद को लिखने से रोक नहीं पाया। मुझे पूरा भरोसा है कि वह जिस असाइनमेंट में लगे हैं, वहां शीर्ष पर पहुँचेंगे। खासकर उनका पोलाइट व्यवहार, सबको धैर्य से सुनने की अदा, नेटवर्किंग, याराना जैसे गुण उन्हें शीर्ष पर पहुँचाने के लिए पर्याप्त हैं । और मेरी तरफ से तो उन्हें नख से शिखा तक शुभकामनाएं ही शुभकामनाएं हई हैं।
डिस्क्लेमर : Piyush Babele को मैं करीब डेढ़ दशक से अपना शुभचिंतक और मित्र मानता रहा हूँ (यह दावा नहीं है कि वो मुझे ऐसा मानते हैं या नहीं ?)। उपरोक्त बातें मैंने उनके साथ अपने अनुभवों के आधार पर लिखी हैं। अन्य लोगों की उनके बारे में सोच या उनके साथ सम्बन्ध अलग तरह के भी हो सकते हैं।
पत्रकार सतेंद्र पीएस 

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