
कानपुर देहात में अवैध मिट्टी खनन पर मचा बवाल: वायरल ऑडियो ने खोली माफिया-मीडिया गठजोड़ की परतें
कानपुर देहात, उत्तर प्रदेश: जनपद में अवैध मिट्टी खनन का कारोबार इन दिनों अपने चरम पर है। रात 9-10 बजे से लेकर सुबह 5 बजे तक जिले की सड़कों पर मिट्टी से लदे डंपर तेज रफ्तार में दौड़ते नजर आते हैं, मानो कानून व्यवस्था का कोई भय ही न हो। लेकिन अब इस खनन के काले खेल में प्रशासन और माफियाओं के साथ-साथ कुछ पत्रकारों की संलिप्तता के आरोप सामने आने से एक नई बहस छिड़ गई है।
शुक्रवार को वायरल हुई एक ऑडियो क्लिप ने पूरे जिले के मीडिया और पुलिस महकमे में हड़कंप मचा दिया है। वायरल ऑडियो में दो पत्रकारों के बीच कथित तौर पर खनन से जुड़ी कहासुनी रिकॉर्ड हुई है, जिससे यह संदेह और गहराया है कि अवैध खनन को संरक्षण देने में कुछ पत्रकार भी पर्दे के पीछे सक्रिय हैं।
कौन हैं ऑडियो में शामिल पत्रकार?
इस ऑडियो में आवाज़ें कथित तौर पर भारत समाचार के स्थानीय रिपोर्टर दीपक सिंह चौहान और पत्रकार वैभव शुक्ला की बताई जा रही हैं। ऑडियो के अनुसार, अकबरपुर तहसील के गौरियापुर क्षेत्र में मिट्टी डालने के स्थान को लेकर दोनों के बीच कहासुनी हो गई थी। इसी बातचीत की रिकॉर्डिंग अब सार्वजनिक हो गई है।
ऑडियो के बाद प्रकरण में तीसरा नाम जुड़ता है – राम दीक्षित, जो वर्तमान में न्यूज़ नेशन से जुड़े हुए हैं। राम दीक्षित पर हरगोविंद कुशवाहा नामक एक अन्य पत्रकार ने गंभीर आरोप लगाए हैं।
हरगोविंद के आरोप क्या हैं?
हरगोविंद कुशवाहा के मुताबिक:
“कानपुर देहात में न्यूज़ नेशन/न्यूज़ स्टेट के पत्रकार राम दीक्षित खनन परमिशन लेकर काम कर रहे हैं। वो अन्य मिट्टी व्यापारियों को धमकाते हैं कि वे मिट्टी दूसरी जगह न डालें। बात न मानने पर वे फर्जी ट्वीट कर व्यापारियों पर दबाव बनाते हैं। पुलिस प्रतिक्रिया आने पर वे ट्वीट डिलीट कर देते हैं। उनके खिलाफ कॉल डिटेल्स और कई ऑडियो भी वायरल हो चुके हैं, जिनसे उनकी ब्लैकमेलिंग की मंशा साफ झलकती है।”
पुराना विवाद: पत्रकारों के बीच गुटबाजी और मुकदमेबाज़ी
यह विवाद नया नहीं है। इसकी जड़ें 2017 से जुड़ी हैं। दीपक चौहान मूलतः इटावा के रहने वाले हैं और पहले भारत समाचार में रहकर खुद को जी न्यूज़ संवाददाता के रूप में प्रस्तुत करते थे। वहीं, हरगोविंद उस वक्त न्यूज़ नेशन से जुड़े थे।
कुछ समय बाद, हरगोविंद को न्यूज़ नेशन और दीक्षित को जी न्यूज़ से हटा दिया गया। लेकिन बाद में दीक्षित को दोबारा न्यूज़ नेशन में कानपुर देहात से एंट्री मिल गई। इसी बिंदु से दोनों पक्षों में अदावत और आपसी तनाव बढ़ गया। आरोप हैं कि एक-दूसरे पर मुकदमे कराए गए, यहां तक कि हमले भी हुए।
राम दीक्षित ने दावा किया:
“मुझ पर दो बार हमला हो चुका है। एक मुकदमा मेरे खिलाफ था, जिसे हाईकोर्ट ने खत्म कर दिया है।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि दीपक चौहान को उनके इटावा कनेक्शन और जातिगत आधार पर जिला प्रशासन में मजबूत पकड़ मिली हुई है। साथ ही, हरगोविंद उनके करीबी माने जाते हैं। दीक्षित का कहना है कि वे अक्सर अवैध खनन के खिलाफ आवाज उठाते हैं, जो इन लोगों को रास नहीं आता। विरोध के चलते उनके खिलाफ झूठे मुकदमे और शिकायतें करवाई जाती हैं।
प्रशासन की चुप्पी और कानून व्यवस्था पर सवाल
इस पूरे घटनाक्रम में जिला प्रशासन की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। कई वर्षों से जारी इस अवैध खनन पर सख्त कार्रवाई क्यों नहीं की गई? पत्रकारिता की विश्वसनीयता को ठेस पहुंचाने वाले इस प्रकरण पर जिला प्रशासन और संबंधित मीडिया संस्थानों की कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया अब तक सामने नहीं आई है।
खनिज नियमावली के अनुसार बिना अनुमति मिट्टी खनन और परिवहन पूरी तरह अवैध है। लेकिन हकीकत यह है कि कानपुर देहात में यह कारोबार खुलेआम और संरक्षण के साथ चल रहा है।
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या प्रशासन वायरल ऑडियो और पत्रकारों पर लगे आरोपों की निष्पक्ष जांच करेगा या यह मामला भी रसूख और साठगांठ के चलते दबा दिया जाएगा।