
भारतीय सांसद, लेखक और अंतरराष्ट्रीय वक्ता डॉ. शशि थरूर अब एक नए वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने जा रहे हैं। वे रूस के सरकारी ब्रॉडकास्टर ‘रशिया टुडे’ (RT) के साथ मिलकर एक नई डॉक्यूमेंट्री सीरीज ‘Imperial Receipts with Dr Shashi Tharoor’ पर काम कर रहे हैं। यह सीरीज 10 एपिसोड में उपनिवेशवाद की परतों को उधेड़ेगी और बताएगी कि किस तरह साम्राज्यवाद की छाया आज भी भारत जैसे देशों पर मंडरा रही है।
RT और थरूर की जोड़ी: एक अनोखा गठजोड़<
‘If both sides can say to their own public ‘we’ve come out of this okay,’ that’s the best way to end a war. When no one has to swallow the humiliation of defeat’ — Dr. Shashi Tharoor to RT’s Rick Sanchez pic.twitter.com/FG6X3tVHTS
— RT (@RT_com) June 24, 2025
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यह डॉक्यूमेंट्री RT के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क और भारत में इसके नए संस्करण ‘RT India’ पर एक साथ प्रसारित होगी। थरूर की विश्व स्तर पर प्रशंसित किताबें —
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An Era of Darkness,
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Why I Am a Hindu,
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India: From Midnight to the Millennium —
इन सभी की झलक और गहन विचार इस सीरीज में देखने को मिलेगी।
किस विषय पर केंद्रित है यह सीरीज?
‘Imperial Receipts’ का उद्देश्य है:
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ब्रिटिश उपनिवेशवाद की असली लागत को उजागर करना,
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आर्थिक लूट, सांस्कृतिक दमन और मनोवैज्ञानिक प्रभाव को समझना,
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और यह दिखाना कि आज़ाद भारत अब भी किस तरह उस अतीत की छाया में जी रहा है।
क्या चल रहा है अभी?
डॉक्यूमेंट्री फिलहाल निर्माण की प्रक्रिया में है और इसकी रिलीज़ डेट अभी घोषित नहीं की गई है।
हालांकि, दर्शकों को इसका ट्रेलर जैसा अहसास तब हुआ, जब डॉ. थरूर हाल ही में RT नेटवर्क के चर्चित कार्यक्रम ‘The Sanchez Effect’ में दिखाई दिए।
थरूर की रूस यात्रा और कूटनीतिक संपर्क
डॉ. थरूर इन दिनों रूस की राजधानी मॉस्को में हैं, जहां उन्होंने ‘प्रिमाकोव रीडिंग्स’ जैसे बड़े रणनीतिक मंच पर हिस्सा लिया। उन्होंने रूस के विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव से भी मुलाकात की, जो यह दर्शाता है कि यह डॉक्यूमेंट्री सिर्फ एक रचनात्मक प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि भारत-रूस कूटनीतिक संवाद का भी हिस्सा बन सकती है।
विश्लेषण: क्यों यह सीरीज महत्वपूर्ण है?
इस समय जब पश्चिमी मीडिया और इतिहास की पुनर्व्याख्या का दौर चल रहा है, थरूर की यह पहल भारतीय दृष्टिकोण को सामने लाने का एक सशक्त प्रयास है। RT जैसी वैश्विक पहुंच वाली संस्था के साथ जुड़ाव से यह डॉक्यूमेंट्री सिर्फ भारत ही नहीं, दक्षिण वैश्विक (Global South) के कई देशों की आवाज़ बन सकती है।
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