अम्बिकापुर, पत्रकारों पर दमनकारी नीति प्रदेश ही नहीं समूचे भारत में किया जा रहा है, जिसको मद्देनजर रखते हुए हाल ही में सरगुजा संभाग के विभिन्न स्थानों में पत्रकारों के विरुद्ध षड्यंत्र कर गैर जमानती धाराओं के साथ अपराध पंजीबद्ध किया गया और कुछ पत्रकारों को जेल भी भेजा गया संपूर्ण कार्यवाही में पुलिस की भूमिका संदिग्ध नजर आई, इसलिए पुलिस से बचाओ आंदोलन की शुरुआत करनी पड़ी इस आंदोलन में समूचे प्रदेश भर के पत्रकार शामिल होकर जेल भरो आन्दोलन के साथ साथ पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने पर सरकार को कैसे बाध्य किया जाए उस पर भी चर्चा होगी।
छत्तीसगढ़ के साथ-साथ अन्य राज्य के पत्रकारों की उपस्थिति में होगी महा आंदोलन की शुरुआत…
बड़े हर्ष के साथ यह बताना उचित होगा कि यदि पत्रकार सुरक्षा कानून छत्तीसगढ़ में लागू होता है तो देश का सर्वप्रथम राज्य होगा इसलिए पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखंड, उड़ीसा व महाराष्ट्र के पत्रकारों की उपस्थिति में पुलिस से बचाओ महा आंदोलन की शुरुआत 1 सितम्बर 2021 को की जाएगी।
वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला के फेसबुक वॉल में पोस्ट के बाद लिया गया निर्णय…
बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर के पूर्व एसडीओपी ध्रुवेश जायसवाल पर मय सबूत रिश्वतखोरी का आरोप लगाने वाले पत्रकार को ही जेल भेज दिया, मगर अपने विभाग को दागदार करने वाले अधिकारी के खिलाफ अब तक पूछतांछ भी नही किया।
पुलिस की दादागिरी के पीछे राज्य सरकार की मंशा साफ जाहिर होती है कि वह पत्रकारों की पत्रकारिता पर बंदिश लगाने के पक्ष में हैं, यह बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा पिछले 15 सालों की भाजपा सरकार में जितना अत्याचार पत्रकारों पर नहीं हुआ उतना यह ढाई साल की कांग्रेस सरकार ने कर दिखाया है सभी पत्रकार एकजुट हो जाए और एक साथ इस सरकार के खिलाफ शंखनाद करें।
जैसा कि पहले तय किया गया था कि मानसून सत्र में पत्रकार सुरक्षा कानून का विधायक नहीं लाए जाने पर पत्रकार देश के सबसे महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश के आगामी चुनाव में छत्तीसगढ़ की सच्चाई बताने के लिए टीम बनाकर जाएंगे और जहां जहां कांग्रेस के नेताओं का सभा होगा वहां वहां पर्चे बांटकर लोगों से मिलकर और अन्य माध्यमों से कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़ की सच्चाई और इनकी झूठे वादों का ध्यान मतदाताओं को दिलाया जाएगा। अतः इस संबंध में तैयारी और टीम गठित करने हेतु एक बैठक अति शीघ्र किया जाना है समय और तिथि और स्थान सभी पत्रकार साथियों को व्हाट्सएप के माध्यम से देने की कोशिश होगी।
कुछ साथियों का प्रस्ताव है कि पिछली सरकार के समय किए गए “जेल भरो आंदोलन” की तरह इस सरकार के खिलाफ भी क्या जेल भरो आंदोलन किया जाना चाहिए?
इस पोस्ट के बाद ही प्रदेश ही नहीं वरण समूचे देशभर से पत्रकारों की प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई, और रूपरेखा बनाते हुए छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में पत्रकारों को पुलिस से बचाओ आंदोलन व जेल भरो महा आंदोलन की घोषणा की गई है।
कुमार जितेन्द्र
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