मान्यवर ब्राण्ड के नए विज्ञापन को लेकर देश में रोष का माहौल सोशल मीडिया पर छिड़ा मान्यवर के बहिष्कार का अभियान

 मान्यवर ब्राण्ड के नए विज्ञापन को लेकर देश में रोष का माहौल सोशल मीडिया पर छिड़ा मान्यवर के बहिष्कार का अभियान

“मान्यवर” आपको देश माफ नहीं करेगा
27 वर्षीय सोनम को अब मान्यवर ब्राण्ड से एलर्जी हो गई है। सोनम कहती हैं- कहीं से भी खरीदूंगी लेकिन अब मान्यवर से शॉपिंग बिल्कुल बंद। 31 वर्षीय नेहा माथुर गाजियाबाद में रहती हैं। वर्षों से मान्यवर की मुरीद रही हैं। लेकिन अब वे इसे बकवास और विवादास्पद बता रही हैं।
नेहा कहती हैं- ‘एक ब्राण्ड के तौर पर ग्राहकों की भावनाओं से खेलने वाले मान्यवर का बहिष्कार जरुरी है। हम अब इसे कभी नहीं अपनाएंगे।’ एक मल्टी नेशनल कम्पनी में कार्य करने वाले अखिलेख चौधरी आक्रोशित हो कहते हैं- ‘सनातन धर्म में अगर किसी पिता को कन्यादान का मौका मिलता है तो उसे परम भाग्यशाली माना जाता है। ब्राण्ड मान्यवर ने हिन्दुओं की भावनाओं का अपमान किया है।’
भोपाल में फैशन इंडस्ट्री से जुड़े नीरज राय गुस्से में हैं। नीरज कहते हैं- ‘सिर्फ हिन्दू धर्म को ही टारगेट क्यों किया जा रहा है। बाकी धर्मों की बात कोई क्यों नहीं करता’।

जाहिर है मान्यवर ब्राण्ड के नए विज्ञापन को लेकर देश में रोष का माहौल है। सोशल मीडिया पर लोग अपनी नाराजगी अलग अलग तरह से जाहिर कर रहे हैं। गौरतलब है कि इस विवाद ने तब जन्म लिया जब हाल ही में कपड़ों के ब्राण्ड मान्यवर ने एक विज्ञापन जारी किया जिसमें कन्यादान की जगह कन्यामान की बात की जा रही है। यही बात लोगों को नागवार गुजर रही है जिसके बाद सोशल मीडिया पर मान्यवर के बहिष्कार का अभियान छिड़ गया है।

इस विज्ञापन में दिख रही आलिया भट्ट भी लोगों के निशाने पर आ गई हैं। जाहिर है मान्यवर के इस ‘खेल’ से लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या मान्यवर ने जानबूझ कर एक विवादास्पद विज्ञापन बनाया ताकि उसे मुफ्त का प्रचार मिल सके? विज्ञापन जगत से जुड़े दिल्ली के गौरव कहते हैं- ‘हो सकता है मान्यवर ने जानबूझकर विवादित विज्ञापन बनाने को मंजूरी दी हो, लेकिन यह एक गलत और खतरनाक ट्रेण्ड है। लोगों की भावनाओं से खेलकर कोई भी ब्राण्ड बड़ा नहीं बन सकता है।
मान्यवर के पूरे विज्ञापन को देखें तो बड़ी चालाकी और धूर्तता के साथ इसे फिल्माया गया है। इस विज्ञापन में आलिया भट्ट ये कहते हुए नजर आ रही हैं कि वह कोई चीज नहीं हैं जिसे दान कर दिया जाए। वह फिर कहती हैं कि अब कन्यादान नहीं कन्यामान होगा।
दरअसल विज्ञापन निर्माता यह अच्छी तरह समझते हैं कि हिन्दू धर्म में पुत्री को कोई सामान नहीं समझा जाता है, बावजूद इसके विवाह की पुनीत परम्परा को अपमानित करने का प्रयास किया गया। जिस कन्यादान को मान्यवर कन्यामान कह रहा है उसका अर्थ है- हिन्दू धर्म में सदगृहस्थ की, परिवार निर्माण की जिम्मेदारी उठाने के योग्य शारीरिक, मानसिक परिपक्वता आ जाने पर युवक युवतियों का विवाह संस्कार।
हिन्दू धर्म में कन्यादान एक ऐसी रस्म है जो कि पिता- पुत्री के भावनात्मक रिश्ते को दर्शाता है। यह संस्कार बेहद कष्टकारी होता है। जिसमें पिता अपने जिगर के टुकड़े को जिसे वह बड़े दुलार, प्यार से पाल पोसकर बड़ा करता है उसका हाथ हमेशा के लिए किसी और के हाथ में दे देता है। कन्या के लिए भी भावनात्मक रूप से बेहद कठिन घड़ी होती है जो अपने वास्तविक हीरो पिता को छोड़कर अपने जीवन साथी के साथ चली जाती है। इस आत्मीय संस्कार में भावुकता, जिम्मेदारी और भविष्य की ठोस बुनियाद होती है। त्याग, समर्पण और जिम्मेदारी का सबसे बड़ा उदाहरण है कन्यादान।
मान्यवर का विज्ञापन कन्यादान की पवित्रता, परम्परा और भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है। अगर जानबूझकर ऐसा किया गया है तो मान्यवर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। भारत की पुरातन, नैतिक, पवित्र धार्मिक परम्पराओं के अपमान की इजाजत किसी को भी नहीं है।

देव नाथ


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