रिश्वत में लिए 6 समोसे दारोगा ने नाबालिग लड़की के रेप केस में लगा दी फाइनल रिपोर्ट देखे वीडियो

दारोगा ने रिश्वत में लिए 6 समोसे, रेप केस में लगा दी फाइनल रिपोर्ट, कोर्ट ने किया खारिज
उत्तर प्रदेश के एटा जनपद के थाना जलेसर क्षेत्र से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने कानून व्यवस्था और पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां एक नाबालिग के साथ दुष्कर्म के मामले में विवेचना कर रहे दारोगा ने कथित रूप से रिश्वत में महज 6 समोसे लेकर केस में एफआर (फाइनल रिपोर्ट) लगा दी।
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दारोगा ने रिश्वत में लिए 6 समोसे, रेप केस में लगा दी फाइनल रिपोर्ट, कोर्ट ने किया खारिज pic.twitter.com/ytVTVTLB19— bhadas2media (@bhadas2media) July 2, 2025
थाना जलेसर क्षेत्र में एक नाबालिग लड़की के साथ रेप की घटना सामने आई थी। पीड़िता की ओर से नामजद तहरीर दी गई थी और केस में पॉक्सो एक्ट समेत गंभीर धाराएं लगाई गई थीं। मामले की जांच एसआई (उपनिरीक्षक) को सौंपी गई।
जांच के दौरान पीड़िता और उसके परिवार ने कई बार आरोप लगाया कि विवेचक ठीक से जांच नहीं कर रहा है। पीड़िता के भाई के अनुसार, जब वह एक बार थाना गया तो देखा कि दारोगा को आरोपी पक्ष के लोग समोसे खिला रहे थे। यही नहीं, उसी दिन के बाद से मामला दबाया जाने लगा।
कुछ दिन बाद विवेचक ने केस में एफआर लगा दी और चश्मदीदों के बयान तक दर्ज नहीं किए। पीड़िता के भाई ने जब इस पर आपत्ति दाखिल की, तो केस की परतें धीरे-धीरे खुलने लगीं।
पीड़िता के परिवार ने जब एफआर के खिलाफ पॉक्सो कोर्ट में आपत्ति दाखिल की, तो कोर्ट ने गंभीरता से मामला संज्ञान में लिया। जांच के दौरान सामने आया कि विवेचक ने आरोपी पक्ष से रिश्वत के रूप में 6 समोसे लिए थे और उसी के बाद एफआर लगाई गई थी।
पॉक्सो कोर्ट ने विवेचक की इस एफआर को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि इतनी लापरवाही और भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने आदेश दिए कि केस की पुनः निष्पक्ष विवेचना की जाए और जिम्मेदार पुलिसकर्मी पर कार्रवाई हो।
इस मामले के सामने आने के बाद ‘6 समोसे’ सोशल मीडिया और चाय की दुकानों पर बहस का विषय बन गए हैं। लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या अब न्याय की कीमत सिर्फ 6 समोसे हो गई है?
पुलिस विभाग की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों की मानें तो आरोपी दारोगा को लाइन हाजिर कर दिया गया है और मामले की विभागीय जांच चल रही है।
यह मामला न सिर्फ पुलिसिया लापरवाही बल्कि समाज में न्याय प्रक्रिया के गिरते स्तर की भयावह तस्वीर पेश करता है। यह जरूरी है कि दोषी पुलिसकर्मी पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो
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