अखबार की जबरन सदस्यता थोपने का आरोप, डॉक्टर की शिकायत पर पत्रकार के खिलाफ एफआईआर दर्ज
पत्रकारिता की आड़ में दबाव बनाने और उगाही के आरोपों से एक बार फिर मीडिया की साख पर सवाल उठने लगे हैं। अंबिकापुर में एक निजी चिकित्सक द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के बाद एक स्थानीय पत्रकार के खिलाफ गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है।
पीड़ित डॉक्टर का आरोप है कि एक स्थानीय समाचार पत्र से जुड़े पत्रकार ने उनसे जबरन अखबार की वार्षिक सदस्यता लेने का दबाव डाला। जब उन्होंने इससे साफ इनकार किया, तो पत्रकार ने कथित तौर पर उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी और मानसिक प्रताड़ना देने की कोशिश की।
डॉक्टर की शिकायत पर पुलिस ने ‘नवभारत’ से जुड़े पत्रकार उत्तम कश्यप के खिलाफ धारा 384 (जबरन वसूली) समेत अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है। हालांकि खबर लिखे जाने तक आरोपी पत्रकार की गिरफ्तारी नहीं हो सकी थी।
मामले की पुष्टि करते हुए अंबिकापुर पुलिस ने बताया कि जांच प्रारंभ कर दी गई है और तथ्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
इस घटनाक्रम ने शहर में मीडिया की भूमिका को लेकर तीखी बहस छेड़ दी है। कई स्थानीय नागरिक और चिकित्सक संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए प्रशासन से सख्त कदम उठाने की मांग की है। उनका कहना है कि अगर किसी पेशे का इस्तेमाल डराने या दबाव बनाने के लिए होगा, तो इससे न केवल उस पेशे की छवि खराब होगी बल्कि आम नागरिकों का भरोसा भी डगमगाएगा।
सवाल उठ रहे हैं कि क्या अब नागरिकों की स्वतंत्रता इस हद तक खतरे में है कि उन्हें समाचार पत्र की सदस्यता भी दबाव में लेनी पड़ेगी? क्या ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई कर मिसाल नहीं कायम की जानी चाहिए?
प्रेस की स्वतंत्रता जितनी जरूरी है, सामान्य नागरिक की गरिमा और स्वायत्तता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। इस संतुलन को बनाए रखना ही लोकतंत्र की बुनियाद है। प्रशासन से अपेक्षा है कि वह इस मामले में निष्पक्ष और त्वरित जांच कर दोषियों को न्याय के कटघरे तक पहुंचाए।
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