
भारत में डिजिटल कंटेंट की दुनिया एक नई बहस के केंद्र में है। देश की जानी-मानी समाचार एजेंसी एशियन न्यूज़ इंटरनेशनल (ANI) ने हाल ही में कई यूट्यूबर्स को नोटिस भेजकर उनके खिलाफ कॉपीराइट उल्लंघन का आरोप लगाया है। ANI का कहना है कि इन यूट्यूब चैनलों ने बिना लाइसेंस उसके वीडियो फुटेज का इस्तेमाल किया है, और इसके लिए अब उन्हें लाखों रुपये का लाइसेंस शुल्क अदा करना होगा।
48 लाख रुपये का लाइसेंस शुल्क?
रिपोर्ट्स के अनुसार, ANI एक साल के लाइसेंस के लिए ₹48 लाख + GST की मांग कर रही है। छोटे और मझोले यूट्यूब चैनलों के लिए यह रकम किसी “कानूनी आतंक” से कम नहीं लग रही। यूट्यूबर्स का कहना है कि वह ANI के फुटेज का सीमित और समीक्षात्मक उपयोग करते हैं, जो कि भारतीय कॉपीराइट अधिनियम, 1957 की धारा 52 के तहत “फेयर डीलिंग” की श्रेणी में आता है।
यूट्यूबर मोहक मंगल ने खोला मोर्चा
प्रसिद्ध यूट्यूबर मोहक मंगल ने ANI के इस रवैये के खिलाफ सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखते हुए इसे “रचनात्मक अभिव्यक्ति पर हमला” और “मीडिया सेंसरशिप की खतरनाक शुरुआत” बताया। उन्होंने कहा कि उनका उपयोग न केवल फेयर यूज़ में आता है, बल्कि उन्होंने ANI की फुटेज का बहुत ही कम अंश, विश्लेषणात्मक उद्देश्यों से इस्तेमाल किया था।
मोहक ने अपने वीडियो में कहा:
“अगर हर छोटी क्लिप पर 48 लाख रुपये देने होंगे, तो भारत में डिजिटल पत्रकारिता या स्वतंत्र विश्लेषण कभी पनप नहीं पाएगा।”
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कानून क्या कहता है?
भारतीय कॉपीराइट अधिनियम की धारा 52 में यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि समीक्षा, आलोचना, रिपोर्टिंग, और शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए सीमित उपयोग को कॉपीराइट उल्लंघन नहीं माना जाएगा। कई डिजिटल राइट्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि ANI का यह रवैया “बिग मीडिया बनाम इंडिपेंडेंट क्रिएटर्स” की बहस को और गहरा करता है।
यूट्यूब की प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर यूट्यूब ने औपचारिक प्रतिक्रिया जारी करते हुए कहा:
“हम कॉपीराइट धारकों और कंटेंट क्रिएटर्स – दोनों के अधिकारों की रक्षा करते हैं। हम दावा करने और उसे चुनौती देने के लिए टूल्स मुहैया कराते हैं, लेकिन यह तय करना कोर्ट या पक्षकारों का काम है कि कौन सही है।”
सोशल मीडिया पर ANI की आलोचना
मोहक मंगल द्वारा अपलोड किए गए वीडियो को दो दिनों में 40 लाख से अधिक बार देखा गया और ट्विटर पर #ANIBully, #FairUseRight, और #StopMediaExtortion जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। देशभर के यूट्यूबर्स और डिजिटल पत्रकारों ने ANI पर “कॉपीराइट का दुरुपयोग कर डर फैलाने” का आरोप लगाया है।
क्या सरकार बोलेगी कुछ?
अब यह देखना बाकी है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय इस मसले पर क्या रुख अपनाता है। क्या सरकार स्वतंत्र डिजिटल पत्रकारों की आवाज़ सुनेगी? या ANI जैसे बड़े संस्थानों की मनमानी को मौन स्वीकृति देगी?
यह मामला केवल एक यूट्यूबर का नहीं है — यह भारत में रचनात्मक अभिव्यक्ति, डिजिटल मीडिया की आज़ादी, और कॉपीराइट के उचित दायरे को लेकर गहराते सवालों का प्रतिनिधित्व करता है।
अगर यूट्यूब पर भी अब बोलने की कीमत 48 लाख रुपये हो गई है, तो अगला सवाल यही है – “सच की कीमत कौन चुका पाएगा?”