
सहारनपुर में वसूलीबाजों का आतंक: हनीट्रैप, ब्लैकमेल और सट्टेबाज़ी में लिप्त गिरोह बना प्रशासन के लिए चुनौती
सहारनपुर — उत्तर प्रदेश के सहारनपुर शहर में अवैध वसूली करने वाले गिरोहों की सक्रियता अब शहरवासियों के लिए भारी सिरदर्द बन चुकी है। बिना मानचित्र स्वीकृति के निर्माणों से लेकर सट्टा कारोबार और ब्लैकमेलिंग तक, इन गिरोहों की गतिविधियाँ स्थानीय प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बनती जा रही हैं।
हाल ही में सामने आए एक सीसीटीवी फुटेज ने पूरे शहर में सनसनी फैला दी। वीडियो में दो व्यक्तियों की सरेआम पिटाई होती दिखाई दे रही है। यह घटना थाना मंडी क्षेत्र की बताई जा रही है, जो इन दिनों वसूलीबाजों के गढ़ के रूप में उभर रहा है।
जानकारी के मुताबिक, मंडी समिति के सामने सड़क किनारे एक दुकान खोलकर लोगों को गुमराह किया जा रहा है, जहां हनीट्रैप और फर्जी शिकायतों के ज़रिए आम नागरिकों को फंसाकर उनसे अवैध रूप से पैसे वसूले जा रहे हैं। इन घटनाओं ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिरकार इन गिरोहों को संरक्षण कौन दे रहा है?
स्थानीय सूत्रों का दावा है कि यह गिरोह न सिर्फ सरकारी राशन की कालाबाज़ारी में शामिल हैं, बल्कि खाताखेड़ी इलाके में दोबारा सट्टे के अड्डे भी संचालित करने लगे हैं। हालांकि पहले पुलिस ने सट्टा कारोबार पर कार्रवाई की थी, लेकिन समय के साथ मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
एक पत्रकार ने हाल ही में खुलासा किया कि थाना कुतुबशेर द्वारा गिरफ्तार किए गए तस्कर ‘रघु’ की स्मैक सप्लाई और वसूली से जुड़े तार भी इन्हीं नेटवर्क से जुड़े हैं। इस खुलासे के बाद वसूलीबाजों की साजिशें और भी गहरी मानी जा रही हैं।
सहारनपुर में नकली पत्रकार बनकर उगाही कर रहे थे युवक, भीड़ ने की पिटाईhttps://t.co/K9A1vdFzRn
— bhadas2media (@bhadas2media) June 23, 2025
स्थानीय निवासी अब बेहट रोड पर रहने वाले कथित वसूलीबाज के खिलाफ प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक प्रशासन ठोस कदम नहीं उठाएगा, तब तक कानून-व्यवस्था की स्थिति और बिगड़ती जाएगी।
इस बीच नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया), उत्तर प्रदेश के सहारनपुर कोषाध्यक्ष अनिल कटारिया ने भी इस विषय पर बयान दिया। उन्होंने कहा,
“जो लोग पत्रकारिता की आड़ में सुबह होते ही निर्माण स्थलों और दुकानों पर वसूली करने निकल पड़ते हैं, उनके खिलाफ लोग तुरंत एसएसपी ऑफिस या संबंधित थाने में शिकायत दर्ज कराएं और संगठन को भी सूचित करें। फर्जी पत्रकारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई समय की मांग है। किसी भी पत्रकार को यह अधिकार नहीं है कि वह किसी निर्माण स्थल या संस्था से दस्तावेज़ मांगे या जांच करे।
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