
बिहार में मीडिया विस्तार की नई चाल: चुनावी साल में Indian Express का पटना संस्करण लॉन्च
देश की मीडिया रणनीतियों में एक और बड़ा कदम जुड़ गया है। अपनी तथाकथित निष्पक्ष और खोजी पत्रकारिता के लिए पहचान रखने वाला The Indian Express अब बिहार की राजनीतिक सरजमीं पर दस्तक दे रहा है, और वह भी चुनावी साल में। सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पटना संस्करण के औपचारिक उद्घाटन में शरीक हुए, जो कई राजनीतिक संदेश भी देता है।
यह कोई सामान्य विस्तार नहीं है। यह वही अखबार है, जिसने 1975 की आपातकालीन सेंसरशिप के दौरान एक खाली संपादकीय छापकर प्रेस की आजादी की दुहाई दी थी। उस वक्त अखबार के संस्थापक रामनाथ गोयनका सत्ता के खिलाफ मुखर हुए थे, जिनके जयप्रकाश नारायण से गहरे संबंध रहे हैं। लेकिन 2025 में यह लॉन्च एक ऐसे वक्त पर हो रहा है, जब बिहार खुद एक नए राजनीतिक बदलाव के मुहाने पर खड़ा है।
राजनीति और मीडिया: एक नई नजदीकी?
पटना संस्करण का आगाज़ सिर्फ एक पत्रकारिता विस्तार नहीं, बल्कि यह एक राजनीतिक और रणनीतिक कदम के तौर पर भी देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी और उनके आपातकाल विरोधी इतिहास को मंच पर उकेरना, कहीं न कहीं यह संकेत भी देता है कि मीडिया और राजनीतिक सत्ता के रिश्तों में एक नई परिभाषा लिखी जा रही है।
Express समूह का ‘घर वापसी’ दावा: कितना मौलिक, कितना भावनात्मक?
The Indian Express Group के चेयरमैन विवेक गोयनका ने इस लॉन्च को “घर वापसी” कहा, क्योंकि उनके दादा रामनाथ गोयनका का जन्म बिहार के दरभंगा में हुआ था। सवाल यह उठता है कि क्या यह भावनात्मक जुड़ाव ही असल प्रेरणा है या फिर बिहार में उभरते राजनीतिक ध्रुवीकरण और चुनावी संभावनाओं की रिपोर्टिंग की दौड़ में शामिल होने की एक रणनीति?
बिहार में मीडिया की नई रेस
The Indian Express अब देश के 11 शहरों में मौजूद होगा। लेकिन पटना संस्करण का समय और स्थान बहुत कुछ कहता है। जब बिहार महिलाओं को आरक्षण, शिक्षा सुधार और जातीय जनगणना जैसे मुद्दों पर उथल-पुथल का सामना कर रहा हो, तब एक प्रभावशाली अंग्रेजी अखबार का यहां प्रवेश करना सिर्फ पत्रकारिता नहीं — यह एक इन्फ्लुएंस बिल्डिंग की प्रक्रिया भी मानी जा रही है।
क्या बिहार की जनता पत्रकारिता में बदलाव महसूस करेगी?
बिहार की जनता जागरूक है, इसमें कोई शक नहीं। लेकिन सवाल यह है कि क्या वे The Indian Express के इस नए प्रयास को वास्तविक निष्पक्ष पत्रकारिता के रूप में देखेंगे, या फिर यह भी उन मीडिया संस्थानों की कतार में खड़ा हो जाएगा जो राष्ट्रीय विमर्श में बिहार को सिर्फ चुनावी अखाड़ा मानते हैं?
The Indian Express का पटना संस्करण एक ऐतिहासिक संदर्भ में लॉन्च जरूर हुआ है, लेकिन इसके पीछे की राजनीतिक टाइमिंग, नैरेटिव कंट्रोल और आगामी चुनाव जैसे कारकों को नज़रअंदाज करना मुश्किल है। बिहार में इस कदम का स्वागत होगा या आलोचना — यह पत्रकारिता की सच्चाई और जनता की समझ पर निर्भर करेगा।