
वेतन रोके जाने पर इंडिया न्यूज़ में असंतोष की लहर, प्रबंधन पर पक्षपात के आरोप
नई दिल्ली: देश के प्रमुख हिंदी समाचार चैनल इंडिया न्यूज़ में इन दिनों गहरा वेतन संकट देखने को मिल रहा है। चैनल से जुड़े कई अनुभवी कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें बीते तीन महीनों से वेतन नहीं मिला है, जिससे न सिर्फ़ उनके परिवार की आर्थिक स्थिति डगमगा गई है, बल्कि मानसिक तनाव भी चरम पर पहुंच चुका है।
तकनीकी टीम से लेकर संपादकीय विभाग तक संकट की चपेट में
जानकारी के मुताबिक, चैनल के विभिन्न विभागों—जैसे टेक्निकल स्टाफ, रिपोर्टिंग टीम, प्रोडक्शन और रिसर्च यूनिट—के कर्मचारियों को लंबे समय से सैलरी नहीं मिली है। सूत्र बताते हैं कि वेतन को लेकर प्रबंधन की ओर से अब तक कोई स्पष्ट समय-सीमा या आधिकारिक स्पष्टीकरण सामने नहीं आया है।
वेतन मांगने पर प्रताड़ना के आरोप
कुछ कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि जब उन्होंने वेतन की मांग की, तो उन्हें ‘चुप रहने’ के लिए दबाव डाला गया या काम का वातावरण तनावपूर्ण बना दिया गया। कई को डर है कि आवाज उठाने पर उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है।
प्रबंधन पर भेदभाव के आरोप
कर्मचारियों का आरोप है कि एक ओर जहां पुराने और निचले स्तर के कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा, वहीं हाल ही में नियुक्त वरिष्ठ अधिकारियों और प्रबंधन से करीबी रखने वाले कुछ लोगों को समय पर वेतन जारी किया जा रहा है। विशेष रूप से पूर्व ज़ी न्यूज़ के कार्यकारी अभय ओझा की टीम के कई सदस्य नियमित वेतन पा रहे हैं।
इसके अलावा, HR विभाग के कुछ सदस्यों को ‘आंशिक’ या ‘विलंबित लेकिन जारी’ भुगतान मिला है, जो प्रबंधन की कथित पक्षपातपूर्ण नीति पर सवाल खड़े करता है।
राणा यशवंत की भूमिका पर सवाल
पूर्व एडिटर-इन-चीफ़ राणा यशवंत की भूमिका को लेकर भी चर्चा है। कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने वेतन संकट के मुद्दे पर कभी निर्णायक रूप से प्रबंधन से लड़ाई नहीं लड़ी और अंततः उन्हें भी संस्थान से बाहर कर दिया गया।
कर्मचारी तलाश रहे कानूनी रास्ता
हालात से परेशान कई कर्मचारी अब इस्तीफा देने या कानूनी कार्रवाई करने की सोच रहे हैं। हालांकि, चैनल प्रबंधन की ओर से इस पूरे मुद्दे पर कोई भी आधिकारिक प्रतिक्रिया अभी तक जारी नहीं की गई है।
“घर चलाना मुश्किल हो गया है” — एक कर्मचारी की पीड़ा
एक वरिष्ठ कर्मचारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “हमने वर्षों से इस चैनल को खड़ा किया, लेकिन आज खुद की ही जीविका संकट में है। EMI से लेकर बच्चों की पढ़ाई तक सब कुछ खतरे में है।”
बड़ा सवाल: क्या मीडिया कर्मियों की सुरक्षा पर ध्यान देगा उद्योग?
अगर इस संकट का समाधान जल्द नहीं निकला, तो यह केवल इंडिया न्यूज़ तक सीमित नहीं रहेगा। यह पूरे मीडिया उद्योग की साख और पत्रकारिता के बुनियादी ढांचे पर सवाल खड़ा कर सकता है। ऐसे समय में जब पत्रकारों से निष्पक्ष और निर्भीक रिपोर्टिंग की अपेक्षा की जाती है, उनके लिए आर्थिक असुरक्षा और उत्पीड़न का माहौल न सिर्फ अनुचित है, बल्कि लोकतंत्र के लिए भी खतरा बन सकता है।