
आजमगढ़- हथौटा गांव निवासी पत्रकार संजय यादव पर हुए जानलेवा हमले को कई दिन बीत चुके हैं, लेकिन पुलिस की निष्क्रियता और आरोपियों की खुलेआम आवाजाही ने पत्रकार समुदाय और आम नागरिकों में गहरा रोष भर दिया है। इस मामले में अब तक कोई गिरफ्तारी न होने से आजमगढ़ के पत्रकारों ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ अनोखा प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों ने संजय यादव के प्रतीक के रूप में एक पत्रकार को तिकठी पर लिटाकर शवयात्रा निकाली और जोरदार नारेबाजी करते हुए पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचे। वहां आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग करते हुए प्रशासन को जमकर घेरा।
“पुलिस की मिलीभगत से बच रहे आरोपी” – पत्रकार संगठनों का आरोप
पत्रकार संगठनों ने थाना जहानागंज की पुलिस पर आरोप लगाया कि वह विपक्षी पक्ष से मिली हुई है और मोटी रिश्वत लेकर आरोपियों को संरक्षण दे रही है। हमले में नामजद आरोपी – राम प्रताप यादव, जय प्रताप यादव और अन्य पांच लोगों के खिलाफ IPC की धारा 307 (हत्या का प्रयास), 308 समेत गंभीर धाराओं में केस दर्ज है, लेकिन इसके बावजूद पुलिस ने अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं की है।
गंभीर हालत में पीड़ित पत्रकार, टूटा पैर, सिर में गहरी चोटें
पीड़ित पत्रकार संजय यादव इस समय अस्पताल में गंभीर अवस्था में जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहे हैं। मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, उनके सिर में गंभीर अंदरूनी चोटें आई हैं और दाहिना पैर पूरी तरह से टूट चुका है। परिवार और सहयोगी पत्रकार लगातार इंसाफ की मांग कर रहे हैं।
एसपी के आदेश भी बने मजाक, थाने की कार्यशैली पर उठे सवाल
बताया जा रहा है कि पत्रकार प्रतिनिधिमंडल ने पुलिस अधीक्षक हेमराज मीणा से मिलकर मामले की गंभीरता से अवगत कराया था। एसपी ने संबंधित थानाध्यक्ष को सख्त निर्देश भी दिए थे, लेकिन आदेशों की खुलेआम अवहेलना करते हुए थाना स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
“राजनीतिक संरक्षण में हैं आरोपी” – स्थानीय लोगों का दावा
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि हमले में शामिल आरोपी समाजवादी पार्टी के कुछ बड़े नेताओं के करीबी हैं। राम प्रताप यादव और जय प्रताप यादव पर पहले से कई गंभीर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं, लेकिन राजनीतिक संरक्षण के चलते अब तक उन्हें कोई सजा नहीं मिली। चिरैयाकोट नगर पंचायत समेत आसपास के क्षेत्र में लोग इनके भय से सहमे हुए हैं।
प्रदेशव्यापी आंदोलन की चेतावनी
पत्रकार संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द गिरफ्तारी नहीं हुई तो प्रदेशभर में लोकतांत्रिक आंदोलन छेड़ा जाएगा। साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर आरोपियों की गिरफ्तारी और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की जाएगी। “पत्रकार एकता जिंदाबाद” के नारों से गूंजता यह विरोध प्रदर्शन, पुलिस की कार्यप्रणाली और राजनीतिक हस्तक्षेप पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
देखें: प्रदर्शन का वीडियो, दर्ज एफआईआर और घायल पत्रकार की स्थिति से जुड़ी मेडिकल रिपोर्ट।
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