CG Land Scame बिलासपुर। रजिस्ट्रेशन मिनिस्टर ओपी चौधरी ने साहसिक कार्रवाई करते हुए कल शाम तीन सीनियर डिप्टी रजिस्ट्रारों को सस्पेंड कर दिया। इनके खिलाफ जमीनों की रजिस्ट्री में गाइडलाइन रेट में गोलमाल कर सरकार को 1.63 करोड़ रुपए की क्षति पहुंचाने का आरोप है। अफसरों का कहना है कि शिकायतों के आधार पर 1.63 करोड़ रुपए के नुकसान का मूल्यांकन किया गया है। इनके कार्यकाल में की रजिस्ट्रियों की जांच की जाए तो नुकसान करोड़ों में जाएगा।
एक जमीन की तीन बार रजिस्ट्री
तीन निलंबित अफसरों में से एक एसके देहारी तो रजिस्ट्री और भूमाफियाओं की दुनिया में कारनामों के लिए ही जाने जाते हैं। देहारी के बारे में प्रचलित है कि कुछ भी काम आप करा सकते हैं। रायपुर के भूमाफियाओं, बिल्डरों और सफेदपोशों की पहली कोशिश यही होती है कि देहारी उनकी रजिस्ट्री करें। इसके लिए डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रार से सिफारिश लगाई जाती है। देहारी का एक कारनामा सबसे पहले एनपीजी न्यूज ने एक्सपोज किया था, जिसमें रिंग रोड की एक जमीन को अलग-अलग तीन लोगों की रजिस्ट्री कर दी थी और तीनों में सरकारी रेट अलग-अलग लगाया गया था। इससे स्टांप ड्यूटी में सरकार को बड़ा नुकसान पहुंचा था। एक रजिस्ट्री तो उन्होंने रायपुर पंजीयन आफिस की पार्किंग में कर दी और बकायदा पेपर में लिखा कि पार्किंग में फलां आदमी का पेपर पेश किया गया और उनकी रजिस्ट्री की जाती है। एनपीजी की रिपोर्ट पर पंजीयन विभाग ने देहारी को सस्पेंड किया था। मगर सफेदपोशों ने महीने भर के भीतर देहारी को फिर से बहाल करा लिया। एनपीजी ने पंजीयन विभाग की इस मेहरबानी की खबर प्रकाशित की थी।
चीफ सिकरेट्री का खास
इनमें से एक सीनियर डिप्टी रजिस्ट्रार की पूर्व मुख्य सचिव से अतिशय नजदीकियां जगजाहिर है। अब ब्यूरोक्रेसी के मुखिया से किसी अफसर के ऐसे रिश्ते बन जाएं तो नीचे वाले उसका क्या बिगाड़ सकते हैं। इनके दुर्ग और पाटन में पोस्टिंग के दौरान करोड़ों की जमीनों को वारा-न्यारा किया गया। किसी का लैंड यूज बदलकर कृषि कर दिया गया तो किसी का कृषि से बदलकर कमर्सियल। मगर इन अधिकारियों ने जांच करने की जरूरत नहीं समझी। नियमानुसार शाम पांच बजे के बाद रजिस्ट्री नही हो सकती। मगर कंप्यूटर में रिकार्ड है, रात में 11 बजे तक जमीनो की रजिस्ट्रियां की गईं।
नौकरशाहों और सफेदपोशों में खलबली
पंजीयन विभाग के भ्रष्टतम अधिकारियों पर कार्रवाई इसलिए नहीं हो पाती थी कि बड़े-बड़े राजनेताओं, नौकरशाहों और भूमाफियाओं को इन्हें संरक्षण मिला हुआ था। दरअसल, बड़ी-बड़ी रजिस्ट्रियां इन्हीं लोग कराते हैं। और जब राजनेता, नौकरशाह और भूमाफियाओं का गठजोड़ हो तब रजिस्ट्री अधिकारियों पर किसकी मजाल हाथ डाल दें। सो, कल तीन प्रभावशील पंजीयन अधिकारियों पर कार्रवाई हुई तो पूरा खलबली मच गई। वो भी एक नहीं, सीधे तीन के खिलाफ। पूरे आरोप के साथ कि फलां ने इतने रुपए का सरकारी राजस्व का नुकसान किया।
ट्रांसफर, पोस्टिंग में भूमाफियाओं का हाथ
छत्तीसगढ़ में जमीन का किस स्तर पर खेला हो रहा, इस बारे में बताने की जरूरत नहीं। हमाम में बड़े राजनेता से लेकर नीचे तक वाला मामला है। और इन सफेदपोशों की सारी रजिस्ट्रियां नियम-कायदों को ताक पर रखकर की जाती है। इसमें सरकारी खजाने को करोड़ों का चूना लगाया जाता है। ऐसे में, रजिस्ट्री अधिकारियों के पावर का अंदाजा लगाया जा सकता है। आलम यह है कि रजिस्ट्री अधिकारियों को ट्रांसफर, पोस्टिंग के लिए खुद को प्रयास नहीं करना पड़ता। भूमाफिया ही इनका ट्रांसफर रोकवा लेते हैं। रजिस्ट्री अधिकारियों के यहां अगर छापा पड़ जाए तो बड़े-बड़े मलाईदार पदों पर रहे अधिकारी उनके सामने फीके पड़ जाएंगे, इतनी अवैघ संपत्तियां पंजीयन विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों ने अर्जित की है।
भ्रष्टाचार में प्रमोशन
जांजगीर में एक महिला अधिकारी के काले कारनामे बड़े चर्चित रहे। वहां सीमेंट कंपनी को उपकृत करने के चक्कर में महिला अधिकारी ने सरकार को करोड़ों की चपत लगा दी। मगर तत्कालीन पंजीयन सचिव निरंजन दास ने कार्रवाई करने की बजाए महिला अधिकारी को प्रमोशन दे डाला।
कई आईएएस जेल जाएंगे
जिलों के कलेक्टरों ने भी खुद बड़ी संख्या में भारत माला सड़कों में बड़ी जमीनों का टुकड़ों में बंटवारा कर बड़ा खेला किया। ऐसी रजिस्ट्रियां खासतौर से रायपुर, कोरबा, बेमेतरा, दुर्ग, धमतरी जिले में खूब हुई है। इनमें रजिस्टी अधिकारियों ने बिना जांच किए कलेक्टरों के कहने पर रजिस्ट्रियां कर दी। उपर से बाकी आईएएस अधिकारियों ने भी पैसे बचाने के लिए गाइडलाइन रेट को ओवरलुक करने का खूब खेला किया।
कामर्सियल भूमि को कृषि भूमि के रेट में कई आईएएस अधिकारियों की रजिस्ट्रियां हुई हैं। इसमें फायदा यह होता है कि कमर्सियल की तुलना में कृषि भूमि का गाइडलाइन रेट दहाई से भी कम होता है। ईडी ने आईएएस समीर विश्नोई की ऐसी कई संपत्तियां पकड़ी है, जिसमें पॉश कालोनी के भीतर के प्लॉट को खेती की भूमि बता रजिस्ट्री कर दी गई। और पंजीयन अधिकारियों को इसमें कोई दिक्कत नहीं हुई। क्योंकि, उन्हें अपना हिस्सा मिल गया।